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बच्चों को आत्म रक्षक क्यों बनाएं और कैसे तैयार करें ?
मैंने पहले भी आपको बताया है कि बच्चों के अंदर आत्मसात करने की क्षमता, Language aqujsition क्रिएटिविटी बहुत ज्यादा होती है तो आप उन्हें अच्छी चीजें बताएंगे तो अच्छा सीखेंगे और गलत बातों को बताएंगे तो गलत लिखेंगे उन्हें सही और गलत में अंतर करना जरूर सिखाएं हमें इतना कहना है कि जितना हो सके हमें बच्चों को बाहरी वातावरण व सामाजिकता जरूर सिखाएं और उन्हें बाहरी वातावरण में जरूर रखें क्योंकि इससे वह दोनों पहलुओं को अच्छे से समझ सकेंगे कि उनका समाज कैसा है और उनकी काल्पनिक सोच कैसी है उनको समाज के तौर पर मजबूती प्रदान करें उनके समाज के क्रूर व्यवहार तथा समाज का नंबर व्यवहार दोनों व्यवहारों को व्यवस्थित रूप से बताएं क्योंकि आप सभी को पता है कि आज के दौर के बच्चे कैसे होते जा रहे उन्हें बस खुद में सिमटकर रहना अच्छा लगता है अगर और इसमें बात कर ले तो हम देखते हैं कि बच्चे फोन स्मार्टफोन के चलते वह अपनी दुनिया पर ही समझते हैं उन्हें लगता है कि उनकी दुनिया बस उनका फोन और उनका एक कमरा है उससे बाहर की वह सोच नहीं रख सकते हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते उनकी इस सोच को बदल नहीं पाते उनको हम बतला नहीं सकते किस फोन से उन्हें लाभ के साथ-साथ बहुत ज्यादा हानि भी है यह फूल उनकी जीवन के लिए लाभदायक नहीं है तब तक जब तक उसका सही उपयोग करना उन्हें पता ना चल जाए।
कुछ माता-पिता ऐसे होते हैं जो बच्चों को बाहर भेजना लोगों से मिलना या लोगों से बात करने नहीं देती हैं फोन देना उनसे वीडियो दिखाना वह ज्यादा पसंद करते हैं और यही गलती वह ऐसा कर लेते हैं जिससे बच्चों के भविष्य खतरे में आ जाती है बच्चों को फोन लेकर क्योंकि सोशल मीडिया अच्छी चीज है परंतु उनकी सोशल मीडिया पर उनके बच्चे क्या देख रहे हैं क्या नहीं देख रहे हैं वह कैसा प्लेटफार्म है सही प्लेटफार्म या गलत प्लेटफार्म है या उन्हें यह बात नहीं पता चल पाती क्योंकि सोशल मीडिया पर अभद्र वीडियो अभद्र एडवरटाइजमेंट आते हैं जो बच्चों को देखना उचित नहीं होता ऐसे अभद्र वीडियो देखने से उनके मस्तिष्क पर गहरा असर या गहरा प्रभाव होता है उस कहरा प्रभाव का उनके मस्तिष्क पर प्रहार होता है उनकी मस्तिष्क पर प्रहार लगता है अभद्र वीडियो अभद्र एडवरटाइजमेंट को देखकर उस समय या उसके बाद की स्थिति बच्चों के दिमाग की ऐसी हो जाती कि वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं वह क्या सोचे क्या ना सोचे क्या करें क्या ना करें ऐसी विडंबना में वह फस जाते हैं ऐसे अभद्र वीडियो अगर सोशल मीडिया पर देखते हैं उनका दिमाग काम करना बंद हो जाता है वह अक्सर उस लालसा में उपासना में चले जाते हैं जहां उनकी उम्र उन्हें जाने की इजाजत नहीं देता यही कारण होता है कि बच्चे गलत रास्ते पर चल देते आप स्वयं सोचे कि अगर आपका बच्चा प्रतिदिन फोन के स्क्रीन पर अंधेरे कुएं में गुम जैसा रहता है उसी में वह क्लास गेम वीडियोस प्रोजेक्ट तमाम तरीके के लर्निंग पॉइंट के लिए चीजें को फोन में देखता है या इस्तेमाल करता है तो आप सोचिए जरा दिन भर में कितने अलग-अलग प्लेटफार्म पर वह कार्य करता है अपने प्रोजेक्ट्स को बनाता है अपने स्कूल वर्क कंप्लीट करता है उसी अलग अलग से थे मोटे प्लेटफार्म पर अभद्र वीडियो का ऐड आ जाता है जिससे बच्चे ना चाह कर भी बहुत देखते हैं कोई स्कीम नहीं होता है यह मैं सरकार से गुजारिश करूंगी या सोशल मीडिया पर गुहार लगाऊंगी कि बच्चों के हाथ में प्रयोग होने वाले फोन पर ऐसी अभद्र वीडियो ना डालें बच्चों पर ही क्यों पढ़ो पर भी ऐसे अभद्र वीडियो या ऐड उपलब्ध ना कराया जाए वह भी तब जब वह इसकी ना हो सके इससे बच्चों का भविष्य खतरे में है साथ-साथ समाज का भी भविष्य खतरे में है जिसके कारण बच्चे अपना संतुलन खो देते हैं एक काकड़ा के अनुसार हम प्रस्तुत करते हैं कि लॉकडाउन के समय कितने बच्चे बड़े ऐसे मामलों का शिकार हुए हैं युवा बच्चे हमारे समाज के एक मजबूत स्तंभ है क्योंकि एक छोटा बच्चा आने वाले समय में एक नवयुवक बनकर तैयार जब उसकी परवरिश गंदी होगी तो उसकी सोच कितनी गंदी होगी वह समाज में रहता है और समाज को कितनी गंदी जगह से देखें इसका अंदाजा आप लगा भी नहीं सकते हैं वहीं युवक वही बच्चा हमारे समाज का एक खंभा है अगर वही लड़का आएगा तो सूची क्या हो सकता है आप सभी से दरख्वास्त है कि सतर्क रहें समझदार बने यह हमारे बच्चों के भविष्य व आत्म सम्मान की बात है उनकी फ्यूचर की बात है उनकी जीवन की बात है इसमें आपको बहुत ज्यादा सतर्क होना पड़ेगा।
आत्म शिक्षक का मतलब यह नहीं तुमने सेल्फ डिफेंस की चीजें दिखाई जाए उन्हें जूडो कराटे इन सब चीज का ज्ञान दिया जाए यह तो अलग पद्धति हो गई पर आत्म रक्षक का मतलब स्वयं को सभी चीजों से रक्षा करना है।
आत्मरक्षा का मतलब आत्मसम्मान का मतलब यही होता है कि दुनिया से समाज से वह स्वयं की रक्षा करें क्योंकि यह समाज डोरी पद्धति पर टिकी हुई है इस दूरी पद्धति से बचने के लिए वह समाज से अपना रक्षा कराएं ऐसी परवरिश बच्चों को देनी चाहिए सेल्फ डिफेंस तो हाथ पर चलाने वाला हो गया कि कोई भी लड़का लड़कियों पर बुरी नजर डालता है तो उससे बचने के लिए उसको मार गिराने के लिए स्टेप सीखना जरूरी है इस समाज में अगर रहना है तो क्योंकि कब किस की नियत बिगड़ जाए आपको भी नहीं पता इसीलिए अपने बच्चों को आत्मसम्मान आत्मरक्षा के साथ-साथ जूडो कराटे जैसे सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दी जाए जिससे आपका बच्चा मजबूत बने और किसी से भी ना डरे उस समाज में रहे खुलकर जी ऐसी शिक्षा बच्चों को दीजिए।
( बिना धुंआ के आग नहीं होती और जहां आग है वहां धुंआ नहीं होती )
इसलिए कच्चे समाज के निर्माण के लिए हमें ठोस कदम उठाना ही पड़ेगा बात है बच्चों के आत्म रक्षक होने के दौर को लाया जाए।
अगर हम बच्चों के आत्म रक्षक होने की दौर की बात करें तो आज की पीढ़ी जितना आगे बढ़ रही है बच्चों का शोषण उतना ही हो रहा है कभी भारी बस्ता lendi syllabus सिलेबस की वजह से बच्चों का शोषण उनके मस्तिष्क पर तेजी से प्रभाव इन सब का प्रेशर बहुत होता है कभी-कभी बाहरी वातावरण से झेलना उन्हें इस परिस्थिति में खुद को संभाल कर आगे बढ़ना है एक बहादुरी का काम है।
बच्चों को ऐसा परवरिश दे ऐसा माहौल दे कि वह हर परिस्थिति में स्वयं को बहुत आसानी से बाहर निकालने उन्हें मन से आत्म रक्षक होने का मजबूती प्रदान करें जूडो कराटे तो सारे बच्चे सीख लेंगे पर आज के चल रहे इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में उन्हें आत्म रक्षक की शिक्षा देना बहुत जरूरी है वह अपने आप को इतना मजबूत बनाएं कि समाज में रहने वाला कोई ट्रक के उन पर उंगली ना उठाएं ऐसी परवरिश आप अपने बच्चों को दें आप ऐसे ही परवरिश थे कि वह हर परिस्थिति में खुद पर डटकर बना रहे स्वयं की रक्षा करना स्वयं के लिए डटे रहना यह है आत्म रक्षक आज के दिन इसमें कोई आपका रक्षा नहीं करता है ना ही तो आपके बारे में कोई सोचता है उसी तरह बच्चों को भी उनकी protection के लिए उनके साथ कोई गलत ना कर पाए ऐसी बातें सिखाई जाए पढ़ाई जाए और खुद में वह विश्वास करें कि मैं सभी समाज में रहने वाले गंदी सोच से लड़ पाऊं आत्म रक्षक बनाने के लिए 19 जोड़ों कराटे की कक्षा में भेजें जरूर दीजिए क्योंकि सोच के साथ-साथ हाथ पैर भी चलाना जरूरी होता है सोच और समझदारी और प्रोटक्शन के साथ बच्चों को आत्म रक्षक बनाएं उन्हें खुद के अंदर आत्म सम्मान का भाव जगाएं और हो सके तो अपने मन से मजबूत बनाएं क्योंकि कभी-कभी अक्सर बच्चे कमजोर होते हैं उन्हें किसी ना किसी चीजों की फोबिया होता है और वह डरते हैं कुछ बच्चों के माता-पिता ही उनकी कमजोरी की वजह बन जाते हैं माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों को संस्कार के साथ-साथ उन्हें ऐसी शिक्षा दें कि अगर उनके साथ गलत होता है तो उनको पुरवा आभास हो जाए और उनका मानसिक स्थिति उस समय बहुत तेज काम करने लगे ऐसी परवरिश अपने बच्चों के अंदर जरूर उनके साथ कुछ गलत हो रहा है या गलत होने का आसार समझ में आ रहा है तो ऐसी अनुभव को वह अपने अंदर जागृत करें ऐसे अनुभव को डिवेलप करें इसमें माता-पिता पूरी तरह सपोर्ट करें कि अपने बच्चों को ऐसे अनुभव का सामना कराएं जिससे आने वाले खतरे को वह भाप सके और उस खतरे से बच सकें तभी जाकी होगा पूर्ण रूप से आत्म रक्षक की परिभाषा क्योंकि कहीं कहीं पर चीजे जोर जबरदस्ती नहीं की जाती हैं।
कभी-कभी नजर से ही बच्चों का शोषण कर दिया जाता है कभी कोई समाज में रहने वाला कंधे सोच का व्यक्ति बिना हाथ लगाए बच्चों का शोषण कर देता है तो ऐसी परिस्थिति जब भी बने तो बच्चों को खुद के ऊपर भरोसा करके उन्हें सबक जरूर सिखाएं इसलिए उनका आत्मसम्मान मजबूत हो वह कभी किसी से डरे नहीं घबराएं नहीं यह तभी संभव है जब उनके माता-पिता उनका परिवार उनका साथ दें और कहीं कहीं पर बात हाथ पांव चलाने की आए तो हमारे समाज के बच्चे उससे भी लड़ने के लिए तैयार रहें ऐसी परवरिश हमारे माता-पिता उन्हें नजर और नजरिए का परिभाषा सिखाएं महसूस और अनुभव में अंतर समझाएं प्यार का स्पर्श और गलत का इस पर दोनों में अंतर सिखाएं।
हर रिश्ते पर पैनी नजर रखना सिखाएं हर लोगों से बचाने की शिक्षा बताएं तब जाकर सारे बच्चे स्वयं को आत्म रक्षक के रूप में तैयार कर पाएंगे और जानते हैं कि बच्चों को आत्म रक्षक कैसे बना सकते हैं कुछ बातों का कुछ पॉइंट का ध्यान देना जरूरी है जो छोटे बच्चे हैं यह बात छोटे बच्चों के लिए
- बच्चों को सर्वप्रथम ऐसी शिक्षा दें जो उनके विषय वार के साथ-साथ दैनिक जीवन के समस्याओं को दूर कर सकें।
- बच्चों को हमेशा सही गलत बातों का ध्यान कराएं समझाएं कि गलत क्या है और सही क्या है।
- उन्हें अच्छा स्पर्श और बुरा स्पर्श के बारे में जरूर बताएं।उनने अनुभव कराया और अवगत कराएं कि हमारे समाज में कुछ इंसान के रूप में भेड़िया भी मौजूद हैं जो स्वयं शिकार तो कर नहीं सकते पर हां अधमरा करके जरूर छोड़ देते हैं ऐसे व्यक्ति के बारे में अपने बच्चों को जरूर ज्ञान दे।
- ऐसी शिक्षा प्रदान करें कि वह संसार गुण के साथ संस्कार के साथ-साथ खुद को आत्मनिर्भर बनाएं।
- सर्वप्रथम अपने बच्चों की बातों का विश्वास करें उसके बाद अपने अनुभव और ज्ञान के भरोसे पर अपने बच्चों की परवरिश व संस्कार पर भरोसा करके उनकी सारी बात सुनें और सही गलत में झूठ और सच में अंतर कर पाए और अपने बच्चों पर भरोसा पूरे विश्वास के साथ करें विश्वास तभी करें जब तहकीकात पूरी सच्चाई से कर सके ।
- गलत शिक्षा ना सिखाया गलत बातें ना सिखाएं अब कभी भी गलत करने की प्रेरणा नाते उन्हें हमेशा उनकी सोच को सकारात्मक दिशा की ओर मोड़ते रहे क्योंकि बच्चों की सोच अक्सर नकारात्मक के आगे फीकी पड़ जाती है वह नकारात्मक ऊर्जा के पीछे एकदम से एक हो जाते हैं बल्कि सकारात्मक सोच तक पहुंचने में उनकी ऊर्जा थोड़ी सी डाउन हो जाती है तो आप अपने बच्चों को हमेशा सकारात्मक सोच किस शिक्षा प्रदान करें।
- अपने बच्चों को स्वच्छंद रखें स्वतंत्र नहीं उन्हें पतंग की तरह उड़ने दे पर डोर की तरह संभाले रखिए पतंग उड़ता तो है पर अपनी डोर के साथ उसी प्रकार माता-पिता अपने बच्चों को स्वतंत्र उतना ही रखे जितना उनको जरूरत है और उन्हें हमेशा अच्छे कामों के लिए प्रोत्साहित करें उन्हें हमेशा एक सही और सच्चा इंसान बनाने की कोशिश आप और हम से हमारे बच्चों से ही आने वाले भविष्य का नवनिर्माण समाज होगा क्योंकि हम और आप भी एक समाज का हिस्सा है हम अपनी सोच को बदलेंगे तभी समाज की सोच बदलती हुई नजर आएगी।