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चिकित्सक एवं रोगी का संबंध
आप सभी को पता है कि चिकित्सक और रोगी का क्या संबंध होता है हमारे भारतवर्ष में चिकित्सक को भगवान का दूसरा रूप कहा गया है क्योंकि जो चिकित्सक होता है वह यमराज से भी मौत को छीन कर अपने रोगी को बचाता है इसलिए चिकित्सक को भगवान मानक और पुरातन समय में चिकित्सक सेल चिकित्सा नहीं करते थे बल्कि रोगी के मनोभाव से जो ग्रस्त समस्याओं को भी वह ठीक करते थे और वह सिर्फ औषधि से नहीं बल्कि आराधना भक्ति तथा सही मंत्र के द्वारा भी मंत्र उपचार करते थे परंतु आज जो आत्मिक समय का दौर चला है उसमें चिकित्सक सिर्फ और सिर्फ अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और साथ में सिर्फ धन को ही अपना भगवान मान बैठे हैं उनको रोगी और रोगी के समस्या में अब कोई दिलचस्पी नहीं है हम ऐसा नहीं कह सकते हैं कि सभी चिकित्सक का यही हाल है अगर बात किया जाए प्रतिशत की तो 50 फ़ीसदी डॉक्टर अपनी पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और 50 फिसदी चिकित्सा अपने पद का सही उपयोग कर रोगी का उपचार सही ढंग से कर रहे हैं।
आप पूरे देश भर में ऐसे कई डॉक्टर से मिले होंगे जो सिर्फ रोगी को ठीक नहीं करते बल्कि उनके रोग का भी इलाज तथा उनके रोगों से होने वाले शारीरिक क्षण को भी ठीक करते हैं इसीलिए हमारे यहां चिकित्सक को
“””” वैद्यो नारायणो हरि:””””””
अर्थात- चिकित्सक भगवान होता है कहा जाता है परंतु आज डॉक्टर तथा मरीज के रिश्तो में बहुत ज्यादा कड़वाहट होने लगी है क्योंकि जो मरीज का विचार है डॉक्टरों के पति अब थोड़ा सा भटकने लगा है क्योंकि कहीं ना कहीं ऐसे चिकित्सालय में चिकित्सक देखने को मिले हैं जो मरीज को ज्यादा बड़ी समस्या ना होने की वजह से भी उन्हें बहुत सारे धन खर्च करने के लिए मजबूर कर देते हैं जबकि उनकी समस्याएं थोड़ी सामान्य रहती हैं परंतु डॉक्टर अपने पद का दुरुपयोग करके मरीज से ज्यादा धन उठने के चक्कर में उन्हें तमाम तरह के मानसिक प्रताड़ना से गुजारने की कोशिश करते हैं।
क्योंकि आजकल के आधुनिक चिकित्सक का एक भगवान है वह है धन उन्हें किसी भी तरीके से सिर्फ धन की प्राप्ति करनी है चाहे मरीज किसी भी समस्या से गुजर रहा हो आज के समय में चिकित्सक और मरीज दोनों के मध्य अविश्वास की दीवार खड़ी हो गई है मरीज के मन में चिकित्सक के प्रति आस्था की नींव हिलने लगी है भरोसे की चोर डगमगाने लगी है डॉक्टर एवं मरीज के संबंध में काफी बदलाव आ गया है।
मरीज डॉक्टर के अंदर भगवान का स्वरूप देखते हैं जो उनकी समस्याओं को समझकर सुनकर उनकी समस्याओं का समाधान करें ऐसे व्यक्ति को मरीज भगवान के रूप में देखकर अपनी समस्याओं को बताते हैं और भरोसा करते हैं कि वह सारी समस्याएं डॉक्टर सुनकर समझ कर उनका इलाज अच्छे से करें परंतु ऐसा अब हमें बहुत कम देखने को मिलता है कि डॉक्टर मरीज की समस्या को ध्यानपूर्वक सुनते हैं मरीज के लिए डॉक्टर वह एक ऐसा व्यक्ति होता है जिससे मरीज अपने गोपनीय बातें भी बतलाता है और इस विश्वास से बतलाता है कि उसकी जो को अपनी समस्याएं हैं वह सही हो जाएं और यह बात कहीं और नहीं फैले कि इस विश्वास के साथ मरीज और डॉक्टर का संबंध बनता है परंतु अब वह संबंध धुंधला होता जा रहा है।
रोगी चाहता है कि डॉक्टर उसकी हर बात ध्यान पूर्वक सुने उसकी जो जटिल समस्या है उसका समाधान भी वह करें और उसकी जटिल समस्याओं को डॉक्टर सरल शब्दों में उन्हें बताएं वह रोग के संबंध में जाना चाहते हैं क्योंकि रोगी अपने रोग से बहुत विचलित रहता है वह नहीं चाहता कि डॉक्टर उसको जटिल शब्दों में उसकी रोग की बातें करें और भारी-भरकम धन खर्च होने वाला रिपोर्ट बनाएं रोगी को लगता है कि डॉक्टर उससे प्यार से बात करें उसे डांटे नहीं डरते नहीं है उनकी समस्याओं को बहुत सावधानीपूर्वक गंभीरता पूर्वक उसकी समस्याओं का समाधान करें परंतु अब ऐसी समस्याएं हमारे डॉक्टरों के बीच आ जाती हैं कि हमारे डॉक्टर अपने मरीज का ध्यान ढंग से नहीं रख पाते और उनके समस्याओं को भी हल्के में ले कर बस एक बड़ा सा रिपोर्ट तैयार कर देते हैं जिसमें अनावश्यक धन खर्च होने की संभावनाएं ज्यादा बन जाती है इससे डॉक्टर और मरीज का संबंध तनावपूर्ण और कडवाहट भरी रह जाती है।
डॉक्टर तथा मरीज के मध्य का सम्मन विश्वास एवं भरोसे का होता है परंतु वर्तमान समय के डॉक्टर तथा मरीज के मध्य उनके रिश्ते में कड़वाहट और उनकी रिश्तो की कड़ी टूटने लगी है विश्वास आस्था के जगहों पर उन्हें संघ का और अनास्था था पैदा होने लगा है। आजकल के डॉक्टर ज्यादा धन के लालच में मरीजों का ब से बत्त्र हाल करने पर उतारू हो चुके हैं वह मरीज को मरने के लिए छोड़ देते हैं जो मरे लिस्ट पोस्ट है उससे भी बड़े से बड़े रोगों का चिट्ठा देकर उससे भयभीत कर देते हैं अगर किसी कारण वशिष्ठ पोस्ट मरीज की मृत्यु हो जाती है तो उनके आंतरिक भाग को जैसे किडनी गुर्दा आंख कई आंतरिक भाग को बेचने लगते है कई ऐसे रिपोर्ट में वह धांधली कर देते हैं पोस्टमार्टम के रिपोर्ट को अदला-बदली कर देते हैं किस लिए सिर्फ और सिर्फ धन कमाने की लालच के लिए अक्सर अन्य दवाई कंपनियों को भी उनकी दवाओं का प्रयोग ऐसे मरीज पर कर देते हैं जिससे मरीज के सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है परंतु उनको इससे कोई भी चीज का लेना देना नहीं है वह सिर्फ और सिर्फ धन की लालसा में ऐसे जगन अपराध करने पर मजबूर हो जाते हैं फिर भी आज के समय में हम डॉक्टरों को सर्वोपरि मानते हैं और आजकल के डॉक्टर अपने पद का दुरुपयोग करके धन को सर्वोपरि मानते सोचने वाली बात है कि डॉक्टर ऐसे पद पर उपलब्ध हैं जहां पर आत्मा और परमात्मा के जो मिलन की कड़ी होती है उसको सुरक्षित करना परंतु डॉ अपने पद का दुरुपयोग कर देते हैं।
आज चिकित्सकों के लोभ एवं लालची मनोवृत्ति के कारण ‘वैद्यो नारायणो हरिः’ का मान तिरोहित हो गया है। अब रोगी सोचने के लिये मजबूर है—“”””‘वैद्य राजा नमस्तुभ्यं । यम राजा सहोदरा ॥ यमस्तु हरति प्राणान् । वैद्यो प्राणान् धनानिच ॥”””””
अर्थात्- ‘हे चिकित्सक! तुम धन्य हो। तुम्हें शत-शत नमन हो। मृत्यु के देवता यमराज के सहोदर अनुज साक्षात मौत हो।
यमराज सिर्फ और सिर्फ जीवन लेकर मृत्यु देता है शरीर में से प्राण भरता है परंतु है चिकित्सक तुम तो प्राण दाता हो रोगियों के आराध्य हो तुम जीवन देते हो परंतु तुम तो अब यमराज की बड़े भाई निकले तुम जीवन देने के बजाय जीवन हर लेते हो और साथ ही साथ में पूरा धन और संपत्ति भी जिससे रोगी पुष्कर पुष्प बस कर्ज को भरने में अपना पूरा जीवन निकाल दे।
हे डॉक्टर अगर समस्याएं जटिल हैं रोगी की बीमारी स्वास्थ जटिल परिस्थिति में है तभी उसका इलाज संभव करो अन्यथा किसी भी कम परेशान या कम बीमार रोगी का उपचार अनर्गल ना करो रोगी का मन रोग के कारण अत्यंत दुखी संकुचित भावुक एवं संवेदनशील हो जाता है किससे तुम्हारे अच्छे आचार विचार की वजह से उनको नए समझ के प्रति उत्साह मिलेगा और तुम उनके मनोभावों को समझकर उसके अनुसार आध्यात्मिक मानसिक एवं काय चिकित्सा की व्यवस्था करना अपना कर्तव्य समझो उनको हर तरफ से हर उपचार करने के लिए प्रोत्साहित करो यही तुम्हारा धर्म और कर्तव्य है क्योंकि रोगी जानता है उसका रोग क्या है उसकी समस्याएं क्या है वह आंतरिक किन किन समस्याओं से जूझ रहा है परंतु सिर्फ रोगी को यह नहीं पता होता है किसका उपयुक्त इलाज क्या होगा उपयुक्त इलाज पाने के लिए ही अपने सहायक चिकित्सक से संपर्क करता है और परेशान रहता है कि जिस प्रताड़ना से मैं गुजर रहा हूं उस चीज को बस सही दवा और दुआ मिलकर वह ठीक हो जाए।
रोगी सिर्फ इतना चाहता है कुछ की परेशानियों दिक्कतों एवं रोग को डॉक्टर भली-भांति समझे हम से हमदर्दी हम सहानुभूति जताएं चिकित्सक अपने ज्ञान अनुभव विशेषज्ञता शोध आदि के आधार पर उनकी बीमारी का सही निदान करें ।
चिकित्सक को चाहिए कि कभी भी रोगी से कर्कश आवाज में तथा उनको तिरस्कृत कर के उनके मनोभाव को ठेस पहुंचा कर कभी बात ना करें उनकी बातों व समस्याओं को ध्यान पूर्वक शांत मन से सुनिए क्योंकि रोगी अपनी सारी समस्याओं को सिर्फ डॉक्टर के सामने ही खुल कर बताता है डॉक्टर से उन बातों को साझा करता है जो अपने परिवार में या अपने जानने पहचानने वालों से भी वह साझा नहीं कर सकता तो डॉक्टर उसके लिए एक ऐसे मसीहा है जो उसकी आंतरिक समस्याओं को समाधान करने में पुरा मदद करते हैं।
रोगी की शिकायत किसी भी चीज से हो चाहे उसके स्वास्थ्य संबंधी या उसके मनोविकार से संबंधित डॉक्टर को सोचना चाहिए कि वह मात्र रोग का उपचार नहीं कर रहा है बल्कि रोगी के मन में उत्पन्न भय डर जुगुप्सा आदि का उपचार कर रहा है क्योंकि मरीज जब उसे समस्याएं होती हैं तो वह एक बच्चे की भांति अपने बड़ा समझकर डॉक्टर के पास आता है तुम की मनोदशा को डॉक्टर को समझना चाहिए वह सिर्फ रोग नहीं है बल्कि रोगी के मानसिक संतुलन का भी इलाज करना डॉक्टरों का कर्तव्य बनता है।
रोगी के शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक तथा पर्यावरण अनिल शिकायत पर चिकित्सक को या डॉक्टर को बहुत गहराई से गौर देना चाहिए उनकी शिकायत को बहुत ध्यान से सुनना चाहिए उनकी समस्याओं से डॉक्टर को बेचैन नहीं होना चाहिए इस प्रकार डॉक्टर और मरीज में बहुत मधुर संबंध स्थापित होगा परंतु आज के आधुनिक समय में ऐसा कुछ भी हमें देखने को नहीं मिलता है डॉक्टर को हमेशा चाहिए कि वह अपने मरीज को आरोग्य एवं कल्याण रहने की शुभकामना देता रहे और उन्हें सही पथ निर्देशन करते रहना चाहिए क्योंकि चिकित्सा कर्म व्यवसाय नहीं बल्कि एक पवित्र मिशन हॉस्पिटल एक पवित्र मंदिर है यदि इसे व्यवसाय मानेंगे और उस मंदिर को पैसा कमाने का ठेका मानेंगे तो कभी भी डॉक्टरों को सफलता नहीं मिलेगी क्योंकि आज की जो विचारधारा चल रही है मरीज वह दोगी के मन में उनको महसूस हो रहा है डॉक्टर डॉक्टर नहीं रहे बल्कि यह ऑक्यूपेशन यह व्यवसाय वह पैसा कमाने के लिए बना है।
डॉक्टर एवं मरीज के मध्य जो संबंध है वह एक नाजुक धागा जैसा है जो विश्वास एवं संदेह के कारण छिन्न-भिन्न हो रहा है तू ट्राई टूटन घुटन एवं तनाव रोगी तथा डॉक्टर के मध्य की दूरी को और अधिक बढ़ा रहा है इस विषय पर डॉक्टर को समझना चाहिए कि रोगी उनके लिए पैसा देने का एटीएम नहीं है बल्कि वह अपने समस्याओं से जूझते हुए इंसान हैं इंसानियत के नाते डॉक्टर को अपने धर्म का सही रूप से पालन करना चाहिए अपने व्यवसाय का सही कर्तव्यनिष्ठ होकर इस व्यवसाय को अपनाना चाहिए ना कि सिर्फ और सिर्फ पैसे के लिए इस व्यवसाय को गंदा कर रहे हैं।
रोग एवं चिकित्सा के मध्य विश्वास भरोसा समाज एवं आस्था को पुनः जगाने से ही डॉक्टर को सही दिशा देकर खोए हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य को संजीवनी मिल सकते हैं और जो रोगी के मन में डॉक्टर का चित्र भीड़ है कि डॉक्टर भगवान है इस भरोसा विश्वास को कायम रखना चाहिए।