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बच्चों के भविष्य की चिंता पर एक सोच
आप सभी को पता है कि छोटे बच्चे बहुत नाजुक होते हैं परंतु अगर उस बचपना से उस नजाकत से हम उन्हें थोड़ी थोड़ी किसी भी चीज को या किसी भी क्षेत्र में कुछ अच्छा सिखाएंगे तो आगे चलकर एक महारथी के रूप में उभरेंगे मैंने पहले भी आपको समझाया है और बताया है कि बच्चों के अंदर आत्मसात करने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है वह बहुत क्रिएटिव होते हैं जिनसे आप बहुत कुछ करवा सकते हैं पर सकारात्मक रूप में क्योंकि बच्चों को सकारात्मक की ओर झुका ना बहुत मुश्किल होता है किस की तुलना में नकारात्मक सोच की तुलना में क्योंकि बच्चे हो या बड़े पुन नकारात्मक सोच की तरफ ज्यादा झुक जाते हैं या ज्यादा जल्दी आकर्षित हो जाती है किस की अपेक्षा सकारात्मक की अपेक्षा किसी भी बच्चे बड़ों की सोच को सकारात्मक विचार बहुत ज्यादा दिल से प्रभावित करता है और सबसे ज्यादा प्रभावित करता है क्या नकारात्मक सोच इसीलिए बच्चों को बहुत ध्यान से उनकी जिंदगी जीना सिखाना चाहिए की जिंदगी चार दिन की नहीं है जिंदगी बहुत बड़ी है इस जिंदगी को ठहराव के साथ जीना चाहिए इस जिंदगी को सूझबूझ के साथ जीना चाहिए इस जिंदगी को बहुत प्लानिंग के साथ जीना चाहिए क्योंकि जिंदगी छोटी नहीं होती है जैसे जैसे आपके बच्चे बड़े होंगे पैसे वैसे उनकी जिंदगी एक कंपटीशन की दौड़ में बढ़ती चली जाएगी कंप्लीकेटेड हो जाएगी।
आप समझ भी नहीं सकेंगे कि आपका बच्चा अपने जीवन में कितना उलझ गया है उससे हर चीज को हर परिस्थिति को आत्मसात करने का ध्यान दीजिए क्योंकि अगर बच्चा आपका हर परिस्थिति हर वस्तु को हर विचार को हर बात को आत्मसात कर लेता है अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा ऊंचाइयों पर होता है फिर आपको उसके किसी भी चीजों के लिए टेंशन लेने की जरूरत नहीं है या परेशान होने की जरूरत बिल्कुल नहीं क्योंकि आपका बच्चा है जिंदगी जीने की पहली सीढ़ी को पार कर चुका होगा आप अपने बच्चों को पके पकाए भोजन कभी ना दे कहने का तात्पर्य यह है कि उनके किसी भी कार्य को पूर्ण रूप से कर के नाते उनके पीछे एक साए की तरह खड़े हैं ना कि उनके आगे उनका प्रतिबिंब बन के कभी ना खड़ा रहे।
हमेशा अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें उनके पीछे रखें अपने बच्चों को कभी गलत डायरेक्शन ना देना कभी भी किसी अदर परसन से कंपेयर ना करें आपका बच्चा जो है उसे उसी तरह स्वीकार करें उन्हें दूसरों की भांति मत ढालें आपका बच्चा आत्म रक्षक बनने के लिए उसे चीजों को आत्मसात करना बहुत जरूरी है।
आद्या एक ऐसी शक्ति बच्चों के दिमाग को पढ़ सकें। उनको बिजली की तेज की तरह रोशन होने का सबक सिखाएं उन्हें रास्ता बताएं मां दुर्गा की प्रकाश की तरह तीज की तरह कोई भी बच्चा लड़का या लड़की हो सकता है उसे कभी लड़का या लड़की होने का कमजोरी मत बताएं उसे अपने लक्ष्य पर डटे रहने के लिए एक प्रेरणा दे कभी भी लड़का और लड़की में भी इतना जताएं क्योंकि बच्चा जब छोटा होता है तो उसे यह नहीं पता कि वह लड़की है या वह लड़का उसे यह समाज की नीची सोच उसे फर्क कराने पर मजबूर करा देता है कि वह लड़का है या लड़की हर माता-पिता से गुजारिश है इस आद्या का कि समाज की कुर्तियों की वजह से कभी भी अपने बच्चों का दामन ना छोड़े और कभी भी उनकी पैर में समाज के नाम की बेड़ियों को ना डालें उन्हें पतंग की तरह पढ़ना सिखाएं जो हवा के रुक को समझ कर उसी दिशा में उड़े बस उन्हें सपोर्ट करें एक डोर के भांति हर माता-पिता को पता होता है कि उनके बच्चे क्या है वह अपने बच्चे को कैसे जिंदगी दे सकते हैं।
इस बात को माता-पिता से ज्यादा कोई अच्छा समझ नहीं सकता तो क्यों ना आप अपने बच्चों को सकारात्मक सोच की और आगे बढ़ाएं उन्हें बताएं उन्हें तुलनात्मक अध्ययन कराएं कि नकारात्मक सोच और सकारात्मक सोच में क्या अंतर है आप उन्हें अपने हर अनुभवों को साझा करें उनके साथ बैठकर हर बात को बताएं पर वही बात जिससे उनकी सोच पर सकारात्मक असर पड़े उनके अंदर जितना उत्पन्न होने इस समाज की गंदी सोच को सुधारने का या इस समाज की गंदी सोच से बचने के लिए यह समाज में लड़का का है ना लड़की का है ना नर का है ना नारी का है ना अल्लाह का है ना खुदा का ना ठंड का है ना गर्मी का ना धूप का है ना छांव का यह समाज सिर्फ अपने मतलबी का है यह समाज आपको तब तक नाचेगी जब तक आपकी शरीर में जान है जिस दिन मर गए तो यही समाज आपको सबसे अच्छा बतलाए यह समाज का दोगलापन है यह तुम्हारी सोच है कभी भी समाज के बनाए हुए नियम कानून या उनके बनाए हुए रास्ते पर अपने बच्चों को और स्वयं को ना चलने दें पर यह भी है यह समाज हमें से है हम ही समाज के हिस्सा हैं तो क्यों ना पहले शुरुआत हम स्वयं से करें अगर हम अपनी सोच को बदल लेंगे तो बच्चों को आज आत्म रक्षक के रूप में निर्भर करा सकते हैं तब हम अपने बच्चों को और उनके सुरक्षा के प्रति कभी भी घबराहट और डर पैदा नहीं होगा क्योंकि बच्चे सुरक्षित रहें स्तर से हम क्या-क्या व्यवस्था कर देते हैं बच्चे सुरक्षित रहे तो हम किस हद तक अपने कार्य को कर सकते हैं और अपनी सारी हदों को पार करके हम बच्चों को सुरक्षित करने की शिक्षा देते हैं पर क्या आप सभी को पता है कि वह सुरक्षित है नहीं ना वह ना घर में सुरक्षित है ना बाहर सुरक्षित है सुरक्षित तब होंगे जब सबकी सोच सकारात्मक होगी आप कहां-कहां अपने बच्चों को बचाएंगे कहां-कहां आप लड़के लड़कियों में भेद करके उनको समझाएं तब तक संभव नहीं जब तक समाज में रहने वाला हर व्यक्ति सामाजिकता के साथ सकारात्मक सोच लाएं अपनी सोच को बदलें तब जाकर इस समाज का उत्थान हो सकता है।
इसीलिए कह रहे समाज हमसे ही हैं और हम भी समाज के हिस्सा हैं इसलिए आप सब से यही गुजारिश है अपनी सोच को बदलें अपने स्वभाव को बदली अपनी नजर वह नजरिए को बदलें तब जाकर हर घर का बच्चा और बच्ची सुरक्षित होगा वह बस आत्मा रक्षक सेल्फ डिफेंस स्वयं को खुश करने के लिए सीखे गाना किस समाज से लड़ने के लिए अक्सर सबके घर में छोटे बड़े बच्चे होते ही हैं तो क्यों ना हम बच्चों को शुरू से ही बचपन से ही आत्म रक्षक का लेसन सिखाएं क्योंकि अगर छोटे फल से ब्याह कर लीजिए बचपन से या मगर अपने बच्चों को कुछ अच्छी चीज सिखाते हैं तो उसका असर हमें बड़े होने पर दिखता है वह एकदम माहिर हो जाते किसी भी कार्य के लिए अगर उस कार्य को 55 से सिखाया जाए तो इसी सिलसिले में मैंने आपसे बच्चों के आत्म रक्षक के रूप में उनको आत्म रक्षक बनाने के लिए मैंने एक तहत शुरू की है हर माता-पिता से गुजारिश है कि अपने बच्चों को सिर्फ डिपेंड की शिक्षा जरूरत है हर शिक्षा के पीछे उनको आत्म रक्षक की शिक्षा जरूर दें क्योंकि यह समाज है इस समाज में हर पढ़ाई को दरकिनार करके अपनी रक्षा स्वयं करने का पाठ पढ़ाया जाए ताकि यह समाज सुधरेगा तो क्यों ना हम बच्चों को शुरू से अच्छी चीजें बताएं अच्छी चीजों का ज्ञान करें उन्हें सही और गलत में अंतर बताएं।
हमारे बच्चे एक गीली मिट्टी और खाली बक्से के समान है।
आप जिस रूप में डालेंगे वह उसी रूप में तैयार होंगी आप जिस बक्से में जो भी भरेंगे को बंद करके अपने अंदर समेट लेंगे जब यह बात सभी को पता है तो क्यों ना हम बच्चे के अंदर एक पॉजिटिव थॉट्स एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें जिससे हमारा समाज भी सुधरेगा और उनकी सोच में भी बेहद परिवर्तन आएगा उनका नजरिया समाज के प्रति अलग होता दिखाई देगा इसीलिए कहा गया ना बच्चों के अंदर जो डालो कि वैसा ही पाओगे
एक कहावत है
जैसा दोगे वैसा पाओगे।
अगर बीज बोया है बबूल का तो आम कहां से पाओगे पेड़ कटीला बोया है तो फल मीठा कहां से खाओगे।
ऐसी प्रचलित कहावत हम लोग को बहुत सुनने को मिली है सही कहा है हम जैसा बोएंगे वैसा काटेंगे अगर हमें अच्छा फल और या अच्छा फसल चाहिए तो हमें बीज भी अच्छा ही बोना चाहिए अगर आप समाज साफ सुथरा चाहते हैं तो अपने बच्चों की परवरिश किस साफ सुथरा ही करिए अगर आप समाज को अच्छा देखना पसंद करते हैं तो अपने बच्चों की शिक्षा भी अच्छी ही रखिए अपने बच्चों को हमेशा सही और गलत मैं अंतर करना सिखाए हमें इतना करना है कि जितना हो सके हमें बच्चों को बाहरी वातावरण तथा सामाजिकता के रंग रूप में डालें उन्हें बाहरी वातावरण के शुद्ध सकारात्मक चीजों को ग्रहण करने में प्रेरित करें ना की नकारात्मक उनको समाज के तौर पर मजबूती प्रदान करें उन्हें समाज का दोगलापन दोहरी व्यवस्था दोहरी सोचने की पद्धति शब्द बताएं उनको एहसास दिलाएं कि गलत करने पर क्या सजा मिलेगी और सही करने पर क्या इनाम क्योंकि आप सभी को पता है कि आजकल के दौर के बच्चे कैसे होते जा रहे हैं उन्हें बस खुद में सिमटकर रहना अच्छा लगता है।
उन्हें खुद को सिमट के रखना अच्छा लगता है उन्हें दुनिया से भिन्न रहना अच्छा लगता है उन्हें समाज की सोच से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह फोन में सारे सामाजिकता को ढूंढते हैं उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन मरे कौन जी उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि किसके साथ क्या हो रहा है वह तो सिर्फ डूबे हैं अपने रचनात्मक दुनिया में जहां कि काल्पनिक सोच का पता नहीं चलता डूब चुके हैं उस अंधकार में जहां से निकलना मुश्किल है वह डूब चुके हैं इस कदर अंधकार में कि उन्हें निकलना मुश्किल है तो कहते हैं कि स्मार्ट नहीं दुनिया क्योंकि उन्हें सबकुछ स्मार्टफोन में दिखता है वह खो चुके हैं माता-पिता का सम्मान करना वह भूल चुके हैं बुजुर्गों का साथ निभाना वह समझ चुके हैं कि समझदारी उनके में हैं अरे मूर्खों को कौन बताए कि सच्ची साझेदारी किसमें है उन्हें भूख प्यास से कोई मतलब नहीं दिखता उन्हें भूख प्यास से कोई मतलब नहीं दिखता उनको तो उनका चारजर चाहिए ना जाने किस दौर में गुजर रहे हैं ऐसा कहकर वह बड़ों को सुनाते हैं हम तो जिस दौर में गुजर रहे हैं वह दौर ही स्मार्ट है अरे मूर्ख तुम तो सोचो कि तुम कितनी गहरी कुएं में गोते लगा रहे हो अपनी सोच को बढ़ाना करते हंसते हैं अपने बड़ों पर अपनी सोच को बढ़ाना करके हंसते हैं अपने बड़ों पर ठहाके लगाते हैं अकेले में क्योंकि उनके दोस्त हैं स्मार्टफोन पर उनकी नजर किताबें नहीं ढूंढते हैं उनकी नजर किताबें नहीं ढूंढती हैं उनकी डिग्रियां पड़े पड़े रो रहे हैं उन्हें तो बस देखता है स्मार्टफोन और स्मार्ट चार्ज है वह तो उन्हीं को दुनिया मान बैठे हैं वह हंसते हैं रोते हैं वह अपनी दुनिया में सिमटे हैं उन्हें धूप ठंड से कुछ भी नहीं परवाह क्योंकि उनके हाथ तो गर्म होते हैं उनके एहसास दफन हो रहे हैं इस कालकोठरी जैसी दुनिया में जो एक बक्से में बंद पड़ी है आवाज को कहते हैं बुलंद दुनिया है उनका अस्तित्व मिटता जा रहा है इस बात का उल्लेख फर्क नहीं 4जी और 5जी में उनकी दुनिया सिमट गई है इस बात का उनको होश नहीं इस बात का उनको होश में वह अपने शब्दों के जंजाल से अपनों को क्या बुरा भला कह देते हैं क्योंकि उनकी सोच नहीं उठती ऑटोमेटिक की दुनिया में वह पंख पसार के बाहर की दुनिया को देखना नहीं चाहते वह अंधेरे कालकोठरी से एक कमरे में खुद को हंसता रोता पाते हैं वह क्या जाने की तपती धूप पेड़ का छांव शीतल जल क्या होता है आधी उम्र निकल जाती है ऐसी गलती करने में 65 की उम्र में रोते रोते थक जाते हैं बूढ़े हो कर थक कर वह सो जाते हैं इस एहसास में कि कल का सुबह इस दुनिया को देखेगा एक नया राज में पर उन्हें क्या बताएं कि यह दुनिया को मिटाने की एक बड़ी साजिश है 4g तो 5G एक बहाना है दुनिया को बहलाने में मिट रहा है अस्तित्व मिट रही है दुनिया इंटरनेट के जमाने में इस राजनेता को कोई फर्क नहीं पड़ता दुनिया को संभाल में मित्र रही है वह बेजुबान हस्तियां जो कभी आंगन में फट पढ़ाते थे आज दाना चुगने को भी चिड़िया बुलाना पड़ता है हम कटोरी में पानी लेकर छत पर रखते हैं इस आस में कहीं से कोई परिंदा आ जाए मेरे छत के आड़ में यह 5G और 4G की दुनिया है साहब इसमें तो लोग मर मिटने को भी तैयार है ना पता कि उनकी जिंदगी में क्या हश्र होने वाला है ना पता कि उनकी जिंदगी में क्या हश्र होने वाला है उन्हें तो बस आयताकार नुमा डब्बा में सारी दुनिया दिख जाती है।
उनसे कहो कि बाहर पंसारी की दुकान से सामान ले आओ उन्हें कह दो कि बाहर से पंसारी की दुकान से सामान ले आओ वह कहते हैं मां बाहर जाने की क्या जरूरत सारी दुनिया तेरे फोन में है उन्हें कौन बताए कि हाथों की महसूस करती है वह दाल चावल वह हरी सब्जियों को उन्हें कौन बताए कि उनके हाथ महसूस करती है हरी सब्जी और दाल चावल को वह तो देख कर दुनिया को जज करते हैं ऐसे हैं स्मार्टफोन के लती को वह सिमट गए हैं छोटी सी दुनिया में ऐसा वह बनाते हैं वह सिमट गए हैं छोटी सी दुनिया में ऐसा वह बतलाते हैं उनके लिए बाहर का तो हवा भी बेकार है वह तो बस अपनी जिंदगी को निकाल रहे हैं स्मार्टफोन की दुनिया के पीछे में इस देश के नेता यह नहीं समझते कि वह दुनिया को 4G या 5G क्यों दे रहे हैं उन्हें तो बस अपनी सत्ता का मजा है दुनिया चाहे भाड़ में हर बच्चा डूब रहा है इस फोन के जंजाल में कोई तो निकालो इसे इंटरनेट की दुनिया के जंजाल से कोई तो निकालो इस दुनिया को इंटरनेट के जंजाल से थक कर कह रही हूं मैं इस दुनिया और समाज से कब तक सोओगे अपने फोन के साथ अब तो उठो जागो क्योंकि देख रहा है वह सवेरा कि कब निहारो गे तुम उसको नंगी आंख से उसको नंगी आंख से थक गई है आद्या की शक्ति यहां बतलाने में यहीं पर दुर्गा की शक्ति यहीं पर इस पृथ्वी की शक्ति जिससे तुम जी रहे हो थक गई है आद्या की शक्ति तुमको बतलाने में छोड़ दो तुम इंटरनेट की दुनिया क्योंकि तुम्हारी आंखें तरस रही हैं बाहरी दुनिया देखने को तुम्हारी आंखें तरस रही है बारी दुनिया देखने को छोड़ दो इसमें जैसे फूल को छोड़ दो इस अंधे हुए जैसे फोन को तुम्हारी आंखें बस तरस रही हैं बाहरी दुनिया देखने को तुम्हारी आंखें तरस रही है बस सारी दुनिया देखने को मां की मुस्कुराहट खत्म हो गई है यह सोच कर कि मेरा बच्चा क्या करेगा इस अंधी दुनिया के खो से अब उठो जागो मेरे सारे प्यारे बच्चे अपने पिता के कंधों की पूछ ले लो अपने कंधों पर यह 4G 5G का जमाना है साहब इसमें तो हर बच्चा पड़ा है जिंदा लाश की तरह इस बात को किसी की फर्क नहीं देखो बच्चे तुम्हारी दुनिया तुम्हारा इंतजार कर रही है छोड़ दो इस अंधे कुएं जैसे फोन को एक ही तुम्हारी मां की आंखें तरस रही हैं तुम्हारी मां की आंखें तरस रही है।