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व्याधि तथा उसके लिए मंत्र
व्याधि का अर्थ-
रोग पीड़ा दुख कष्ट आदि क्योंकि व्याधि रोग व असाध्य रोगों के लिए उपयोग किए जाने वाला शब्द है उसी को दूर करने के लिए हम वैदिक विधियों द्वारा होने वाले रोगों का उपचार मंत्रों द्वारा करते हैं इस तरह हर रोग वह प्लेस को दूर करने के लिए हम आसान व सरल मंत्र का उपयोग रोग व क्लेस दूर करने का आसान मंत्र |
परिचय-
मंत्र
जन्मांतर पापं व्याधि रुपेण बांधते।
तच्छान्तिरौषधप्रारौर्ज पहोमसुरार्चत्रै:।
आयुर्वेद की मान्यता है कि जब हवन देवताओं का पूजन यह भी रोगों की दवाएं हैं ऐसे में लोगों के नाश के लिए पूजा और देवताओं के मंत्र की उपयोगिता स्पष्ट है जो लोग जटिल रोग से पीड़ित हूं उन्हें हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए वैसे तो श्रद्धालु पूरी हनुमान चालीसा का पाठ किया करते हैं परंतु रोग नाश के लिए हनुमान चालीसा के इन चौपाइयों वह दोहों को मंत्र की तरह जपने का विधान है
1- बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।
2- नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा।
इस दोहे के जप से हर तरह के रोग शारीरिक दुर्बलता मानसिक क्लेस आदि दूर होते हैं खास बात यह है कि हनुमान जी के उपासक को सदाचारी होना चाहिए सदाचार में प्रसन्न होते हैं। हर मनोकामना को पूरा करते हैं |
मंत्रों का जाप अनुष्ठान के साथ करने के भी तरीके हैं पर वह थोड़े जटिल है।
आसान तरीका भी है कि किसी व्यक्ति की दिन वह रात मैं कभी भी कर ले इन मंत्रों का जप मन ही मन करना चाहिए यह क्रम रोग दूर होने तक उत्साह के साथ जारी रखना चाहिए
मंत्र द्वारा बीमारी से मुक्ति पाएं बीमार मनुष्य के जीवन में दुखों का पहाड़ लाकर खड़ा कर देती है बीमारी व्यक्ति स्वस्थ तो भयंकर यातना का सामना करना ही है साथ में उसके परिजन भी मानसिक प्रताड़ना के शिकार होते हैं |
किसी ने सच ही कहा है
पहला सुख निरोगी काया ( शरीर)
इस जीवन में सबसे अधिक सुखी वही है जो पूर्ण रूप से स्वस्थ है अच्छे स्वास्थ्य के अभाव में धनवान व्यक्ति भी खुद को असहाय महसूस करता है।
भगवान शिव की एक ऐसे मंत्र जो शक्तिशाली मंत्र के विषय में जानकारी देने वाले हैं जिसके प्रयोग से औषधि को अभिमंत्रित करके वह औषधि पूर्ण रूप से अपना प्रभाव दिखाना आरंभ कर देती है |
रोग निवारण मंत्र-
यातें रूद्र शिवातनु: शिवा व्विश्स्वाहा भेषजी
शिवा रुतस्य भेजषी तरानों मृड जीवसे।
भारतीय सभ्यता में प्राचीन काल से ही बीमारी को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक औषधि द्वारा मंत्र द्वारा यज्ञ द्वारा उपचार किया जा रहा है मंत्रों में बड़ी शक्ति होती है।
शिवजी के एक ऐसे मंत्र के विषय में जिस से यदि किसी भी औषधि को अभिमंत्रित कर औषधि का सेवन किया जाए तो असाध्य से असाध्य रोग भी अति शीघ्र ठीक होने लगते हैं
इस मंत्र का नियमित रूप से उच्चारण करें जब भी किसी रोग का मंत्र द्वारा उपचार करना हो तो रोगी को दी जाने वाली औषधि दवाई इस मंत्र द्वारा तीन बार अभिमंत्रित करें और इस प्रकार करें कि दवाई को हाथ में लेकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें और हाथ की ओर फूक लगाएं इस मंत्र 3 बार मंत्र का उच्चारण और तीन बार औषधि फुक लगाएं और अब औषधि दवाई को रोगी के लिए ले जाए |.
हमारे आध्यात्मिक पुस्तक में ऐसे कई मंत्र उपलब्ध है जो हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को मंत्रों के द्वारा ठीक किया जा सकता है,सरल तरीके में आपको बताना चाहती हूं कि कि हमारे शरीर के जितने भी अंग हैं उनके लिए भी मंत्र उपलब्ध-
जैसे-
- मस्तिष्क रोग
- आंख रोग के लिए
- हृदय रोग के लिए
- हृदय रोग के लिए
- स्नायु रोग के लिए
- ब्लड प्रेशर के लिए
- यादाश्त बढ़ाने के लिए
- सर दर्द वह माइग्रेन के लिए
ऐसे कई असाध्य से असाध्य रोगों के लिए हमारे मंत्र चिकित्सा में मंत्रों का भंडार भरा हुआ है, ऐसे तो हम सब जानते हैं की महामृत्युंजय वह गायत्री मंत्र का अगर हम विधि पूर्वक जाप करें तो हम कोई भी असाध्य से असाध्य रोग खत्म कर सकते हैं,तथा मृतक सईया पर लेटा हुआ व्यक्ति उठ खड़ा हो सकता है इस मंत्र से ऐसा प्रमाण मिलता है,इसके बाद हम जानते हैं बीज मंत्रों से उपचार की बीज मंत्र होता क्या है बीज मंत्र से हमारा उपचार कैसे संभव है |यह बीज मंत्र सृष्टि की देवी के द्वारा उपलब्ध कराया गया बीज मंत्र है |
कुछ उदाहरण यहां भी प्रस्तुत किए गए हैं।
खं बीज मंत्र
इस बीज मंत्र के जाप से हार्ट अटैक कभी नहीं होती है।
हीं बीज मंत्र
बीज मंत्र से कफ विकार जनित रोगों में सहायक प्रदान होता है
एं बिज मंत्र से
इस बीज मंत्र से वात, नाशक, रक्तचाप, तमे कोलोस्ट्राल
मूर्छित आदि असाध्य रोगों में सहायक प्रदान करता है
सावधानियां
बीज मंत्रों से अनेक रोगों का निदान सफल है आवश्यकता केवल मंत्र चुनने और उसका शुद्ध उच्चारण करने की है बीज मंत्रों में उसकी शक्ति का सार उसकी अर्थ में नहीं बल्कि उसके विशुद्ध उच्चारण को एक निश्चित लय और ताल से करने में है
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुग्न्धिं॒ पुष्टि॑वर्द्धनम्।
उरर्वा॒रुमकि॑वव बन्धान्नंग मृत्युर्मु॑श्यृ मा॑॑मृताऽत्स।
यह शिव मंत्र है यह मंत्र बीज मंत्र के साथ जुड़ा हुआ है इस मंत्र का जाप करने से असाध्य से असाध्य रोग से रोगियों को छुटकारा मिल सकता |
विधि
सुबह व सायंकाल प्रातः अपेक्षित एकांत स्थान में बैठकर आंखों को बंद कर इस मंत्र का जाप अपेक्षित 10 से 11 बार करने से मन को शांति मिलती है और मृत्यु का भय दूर हो जाता है आयुक्त भी बढ़ती है और साथ ही साथ रोगों से छुटकारा मिलता है
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
यह मंत्र चारों वेदों से मिलकर बने हैं इसके उच्चारण करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार होता है इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का शरीर निरोग बनता है और इंसान को यश प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति भी होती|
प्रयोग-
शास्त्रों के अनुसार इसका दिन में 3 बार जप करना चाहिए
प्रातः काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात फिर दोबारा दोपहर को शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले जब शुरू कर देना चाहिए |