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वैदिक चिकित्सा चर्चा के सामान्य अध्ययन (भाग 3)
वैदिक चिकित्सा पर हम जितना भी बात करें। उस पर विचार करें कम है क्योंकि वैदिक विज्ञान और वेद में उसकी चिकित्सा बहुत महत्वपूर्ण है वेद व उसके शाखा पर बात करना उसकी महत्ता को ध्यान देना आज आधुनिक समय में महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि हमारी संस्कृति को हमारी नई जनरेशन तथा मध्यम पीढ़ी के लोग भी नहीं जानते क्योंकि वह उसके विभाग क्षेत्र शाखा विद को जाना बहुत ही धैर्य प्राणी का होना जरूरी है |
क्योंकि इस सब के अध्ययन के लिए हमें कठिन परिश्रम धरपुर साहसी रूप से स्वयं को ढाल ना होता है क्योंकि वेद का क्षेत्र इतना निश्चित है कि इसको समझना तथा लोगों तक अपनी बात पहुंचाना बहुत ही धैर्य की बात है अगर जिस व्यक्ति के अंदर भर रहेगा वही वेद वेदांग के अधिकारी बनकर लोगों तक इसका अधिकार पहुंचाएगा।
तब जाकर कहीं कुछ सफलता हाथ लगती है हमें विचार करना आवश्यक हो गया है कि जैसे हम आगे के पृष्ठों पर देख रहे हैं कि वैदिक चीजें हमारे आधुनिक टेक्नालॉजी पर अंग्रेजी दवाओं पर भारी पड़ रहा है बस हमें सही ज्ञान की आवश्यकता है जिससे हम आधुनिकता के साले जंजाल से सावधान हो सके और अपनी प्राचीनता को पुनः वापस ला सके |
जैसे- विचार विमर्श के बारे में हम जानते हैं कि आज वेद भारत की वैदिक चिकित्सा पद्धति है इससे अब पूरा विश्व एक भरोसे के साथ अपना रहा है तथा यह एक साथ में प्राथमिक चिकित्सा भी है,लोगों के बीच बैठकर उनसे विचार-विमर्श कर पता चलता है कि आज के मानव सेहत को लेकर बहुत ध्यान देते हैं और careful भी है। सेहत को किसी भी तरह से खराब नहीं करना चाहते इसीलिए उसे सब लोग हर्बल प्रोडक्ट हर्बल वस्तु का प्रयोग ज्यादा करना चाहते हैं चाहे वह कोई भी प्रोडक्ट हो वह अपनी सेहत से अब किसी भी प्रकार का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते वह चाहे खाने की वस्तु हो जाए शरीर पर इस्तेमाल करने वाला कोई भी प्रोडक्ट हो सब हर्बल ही यूज करते हैं |
यह पता चलता है कि जिस प्रोडक्ट में जड़ी बूटी का मिश्रण सम्मिलित है वही प्रोडक्ट मार्केट से लोग खरीदना चाह रहे हैं।क्योंकि उनको अपनी भारतीय सभ्यता के जड़ी बूटी पर अत्यधिक विश्वास होता जा रहा है|
अब हम उन प्रोडक्ट को देखेंगे जैसे -खाने की वस्तु को देखें डाबर हर्बल शहद , च्वनप्राश, चाय, जुस आदि। और कई प्रोडक्ट है |
“जैसे-डाबर हर्बल टूथपेस्ट ,हर्बल फ्रेश क्रीम ,हर्बल शैंपू, हर्बल साबुन,ऐसे कई वस्तु है जो हर्बल चीजों से जुड़ी हुई हमारी मान्यता है कि जड़ी बूटी से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है यही मानसिकता हमारे वैदिक चिकित्सक उत्सुकता को बढ़ाता है।“
बिहार राज्य में चर्चा का विषय वैदिक चिकित्सा के ऊपर रहा है,राज्यपाल द्वारा वैदिक चिकित्सा पद्धति के बारे में विचार आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को सभी चिकित्सा संस्थाओं की जननी बताया है कहा कि यह भारतीय वैदिक संस्कृति से जुड़ी हुई है विश्व की जितनी भी चिकित्सा पद्धति आज मेडिकल साइंस की दुनिया में प्रचलित है उन सब की जननी किसी न किसी रूप में हमारी आंतरिक चिकित्सा पद्धति ही है |
राज्यपाल ने आयुर्वेद के क्षेत्र में बिहार के गौरव में इतिहास की चर्चा करते हुए कहा है कि प्राचीनतम नालंदा विश्वविद्यालय में प्रारंभ से ही आयुर्वेद संकाय में शिक्षा दी जाती थी नालंदा विश्वविद्यालय के पहले कुलपति रस शास्त्र के उदय भट्ट विद्वान नागार्जुन हुये थे।
जीनेके शब्द में रस औषधियों का विकास व्यापक स्तर पर हुआ था।प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में सोने इत्यादि खनिज पदार्थों से औषधियां बनकर स्वस्थ और दीर्घायु जीवन के लिए शोध और अध्यापन की व्यवस्था की गई थी जहां से पूरी दुनिया के लोग ज्ञान प्राप्त करने आते थे |
इस तरह से देखा जाए तो पता चलता है कि सभी जगह और स्थानों पर अब फिर से नवजीवन की तरह वैदिक शिक्षा , वैदिक संस्कृति, वैदिक सभ्यता, वैदिक पूजा पाठ, सभी पर चर्चा होती है और लोगों में जागरूकता की भावना लाई जाती है लोग इससे जुड़े और अपने आजकल और आने वाले कल को हर्बल करें, स्वस्थ रहें मस्त रहें, तथा जीवन को सही ढंग से जिए।
क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है ऐसा हमने सुना है कि जब तक शरीर का न्यू मजबूत होगा तभी शरीर स्वस्थ समृद्धि से भरा पूरा रहेगा।
इसी वजह से सब विषयों पर चर्चा करना आवश्यक है,वैदिक चिकित्सा एक ऐसा विषय है क्योंकि इस पर चर्चा करना आज वर्तमान समय में बहुत जरूरी हो गया है,क्योंकि लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है हमें और हर जगह हर क्षेत्र स्थान में हमें कैंप लगाकर लोगों के साथ बात पर चर्चा करना है विचार करना है और सभी जनमानस को सही राह दिखाकर इसके विषय में मत लाना है |