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प्राकृतिक व आधुनिक चिकित्सा का तुलनात्मक अध्ययन
आधुनिक व प्राकृतिक चिकित्सा जिसे हम प्राथमिक वह वैदिक चिकित्सा के रूप में जानते हैं वैसे तो हम वैदिक चिकित्सा के बारे में अध्ययन कर चुके हैं परंतु हमें यहां मुख्यतः तुलनात्मक रूप से अध्ययन करना है |दीक्षित के सामानों व जनमानस के लिए कल्याण हेतु है सब प्रकृति जंतु के लिए उपलब्ध है ,प्रकृति में ऐसे चमत्कारी वह गुणकारी चीजें विद्यमान है जिन्हें जानना और समझना काफी मुश्किल है पर हम जहां तक नजर को धाराएं यह पता चलता है कि प्राकृतिक चिकित्सा स्वास्थ्य शरीर के लिए बहुत ज्यादा कारगर है तथा हमारे आई को बढ़ाता है तथा में एक तरह से नियमबध्द रहना भी सिखाता है।
प्राकृतिक दौर से गुजर ना बहुत कठिन व सरल नहीं है हमें प्राकृतिक चिकित्सा के लिए सही मात्रा, सही समय का ध्यान देना जरूरी होता है और उसे क्रमबद्ध ढंग से रखना मुश्किल होता है परंतु अगर ज्ञान हो तो हमें हम इस कार्य को सफल पूर्वक कर सकते हैं |
प्राकृतिक चिकित्सा की बात की जाए याद दवा व औषधि की बात की जाए तो कहना मुश्किल हो रहा है कि जो आयुर्वेद में होम्योपैथिक दवा की निजात करना सही ढंग से प्रस्तुत कर रोगी को देना यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है क्योंकि प्राचीन समय में मात्रा (quantity & quality) के लिए अच्छा यंत्र नहीं था हमें अनुभव वह नजर की परख पर उसे सही मात्रा में मिला ना आवश्यक होता है तब जाकर कहीं अच्छे से वटी, अवलेह, चुर्ण, पेस्ट बना पाती थें और उसे सही ढंग से रखना एक कठिन चुनौती का सामना करना जैसे था |अगर देखा जाए तो कहीं कहीं आधुनिक चिकित्सा वह प्राकृतिक चिकित्सा से अच्छी हो अगर स्वास्थ्य सेहत की बात की जाए तो प्राकृतिक चिकित्सा अच्छा माना जाता है प्राकृतिक चिकित्सा में नाड़ी, पल्स ,व त्वचा को देख कर हम रोगों का पता करते थे। ज्ञानेंद्रियों को समझ कर उससे हम असाध्य रोग का पता कर पाते थे पर बीच का ऐसा समय आया कि हमें प्राकृतिक चिकित्सा का ज्ञान कम होता चला गया जिसके चलते हम माध्यम के बवंडर में फंस गए थे। ना हम आधुनिक रहे ना हम प्राकृतिक में रहे। क्योंकि हमें प्राकृतिक का ज्ञान नहीं रहा और मृत्यु दर की संख्या बढ़ती गई ऐसे कई जटिल रोगों से हमारा सामना हुआ जिसका इलाज प्राकृतिक चिकित्सा में था तो परंतु हमारे ज्ञान की कमी होने के कारण हम इस इलाज कर संभव न था इसीलिए हम थोड़ा सरलीकरण के चलते आधुनिक दौर के मशीनों तथा यूं कह लें कि जो लोगों का पता नहीं चल पा रहा था अब उन रोगों की जांच आधुनिक मशीनों के द्वारा होती है तथा असाध्य रोगों का पता आसानी से लगाया जा सकता है और उसका इलाज सही ढंग से किया जा सकता है|
इस तुलनात्मक अध्ययन से यह पता चला है कि दोनों चिकित्सा पद्धति में वह चाहे प्राकृतिक हो या आधुनिक करण दोनों चिकित्सा पद्धति अपने अपने स्तर पर सही है हमें हमारे स्वास्थ्य शरीर की क्षमता को ध्यान में रखकर दोनों चिकित्सा पद्धति को स्वीकृति प्रदान करना चाहिए बस हमें मूल रूप से यह ध्यान देना चाहिए कि कौन सी चिकित्सा पद्धति हमारे लिए कब आवश्यक है और कब जरूरत है क्योंकि प्राचीन समय में शरीर के अंदरूनी लोगों का पता नहीं चल पाता था जिसकी वजह से कई महामारी कई संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती थी परंतु आज आधुनिक समय में ऐसा नहीं है हम शरीर के अंदरूनी रोगों का भी पता आसानी से लगा सकते हैं और उसका इलाज समय रहते अच्छे से कर पाते हैं इसीलिए हमें अपने शरीर की क्षमता के अनुसार दोनों ही चिकित्सा पद्धति को अपनाना चाहिए तथा दोनों की अच्छाई को अपने अंदर ग्रहण कर के ही उस पर अमल करना चाहिए |