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बच्चों को सही तरीके से कैसे पढ़ाएं?
यह प्रश्न आम है कि बच्चों को कैसे पढ़ाएं बच्चों को पढ़ाने का सही तरीका क्या होता है कैसे शुरुआत करें बच्चों को पढ़ाने के लिए तो आप इतना तो जानते हैं कि हर कैटेगरी बनी हुई है जिसमें हर क्लास के बच्चे हर उम्र के बच्चे कैसे पढ़ाई करते हैं ऐसा आपको हर जगह मिलता होगा पर बच्चों को कैसे पढ़ाएं किस तरीके से पढ़ाएं यह सब जगह सही ढंग से नहीं मिलता है तो हमारे इस कंटेन में यही है कि बच्चों को कैसे पढ़ाएं बच्चों को समझना बहुत मुश्किल होता है बच्चे को कोमल से फूल की जाए तो टूट जाएंगे नहीं जाएंगे अब क्या करें ऐसी कई चीजें होती है जो हम समझ नहीं पाते हैं पर हम आपको जरुर समझाएंगे कि बच्चों को सही गाइडलाइन( Guideline) कैसे दें पढ़ाने के लिए|
देखिए समस्या तब आती है जब बच्ची शुरुआती पढ़ाई शुरू करते हैं मतलब 3 प्लस उम्र की जो बच्चे होते हैं वह पढ़ाई में उनकी पकड़ नहीं होती है वह शुरुआत करते हैं कि कैसे पढ़ना है हम कई तमाम टीचर्स को रखते हैं और ट्यूटर्स को रखते हैं कि बच्चों को सही गाइडलाइन के साथ पड़ा परंतु जब हमें स्वयं से बच्चों को पढ़ाना हो तो तो बहुत मुश्किल आती है बस्सी मन में आता है कैसे पढाये यार कहां से शुरुआत करें।
3 प्लस 5 प्लस के बच्चों कि बात करे तो उन को पढ़ाने में बहुत मुश्किलें आती हैं क्योंकि उनका मन छोटा होता है और उनको समझा कर पढ़ाने में बहुत कठिनाइयां आती हैं क्योंकि उनकी सोच से हमारी भाषा उन्हें समझ नहीं आती है।
हम उन्हें बड़े तौर पर बड़ी-बड़ी लैंग्वेज(Language) से समझाने की कोशिश करते हैं परंतु उन्हें हमारी भाषा नहीं समझ में आती है वजह यह होती है कि हम उनके साथ तालमेल नहीं बैठा पाते 3+ प्लस यह के बच्चों को समझाना या उनसे पढ़ाई के मामले में बात करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य लगता है यह कार्य और ज्यादा मुश्किल तब हो जाती है
जब उनकी पढ़ाई ऑनलाइन(Online) हो जाती है क्योंकि वह दिन भर फोन में लगे होते हैं फोन में क्लास करने के बाद इंटरनेट पर गेम वीडियो गेम गेमिंग जैसे कुछ चीजें देखने लगते हैं और तब उन्हें कहना या पढ़ाई करने के बाद करना उनके लिए बहुत मुश्किल होता है।
इस समय उन बच्चों का मनोभाव ऐसा होता है कि अगर उनको उन्हीं के माता-पिता या घर के बड़े फोन से दूर रहने के लिए मना करते हैं या पढ़ाई के मामले को उनके सामने लाते हैं तो बच्चों का नजरिया बड़ों के प्रति एकदम विरोधाभास हो जाता है अगर सामान्य भाषा में कहें तो हम उनके कट्टर दुश्मन बन जाते हैं ऐसा मानना उनके लिए सही है क्योंकि वह किसी चीज में लगे रहते हैं या फोन से उनको दूर रखना बहुत आवश्यक है।
अगर यह बात उनको समझाएंगे उन्हें लगता है कि यह पढ़ाई हमें ही क्यों करनी होती है ऐसा बच्चे सोचते हैं उन्हें पढ़ाई करना या पढ़ाई की बातें करना या दिन भर होमवर्क(Homework) करना बहुत बुरा लगता है इसलिए वह कभी किसी की बात नहीं मानते है।
यह एक ऐसा समय होता है कि हम अपने आप से ही कई तरह के क्वेश्चन पूछते हैं कि हमें बच्चों को कैसे पढ़ाना चाहिए हम कितनी दफा नेट(Net) पर गूगल(Google)पर यूट्यूब(YouTube) पर हम कहीं ऐसी चीजों को फॉलो(Follow) करते हैं जिससे हमें पता चले कि हम बच्चों को कैसे पढ़ाएं।
तो हम आपके सामने प्रस्तुत करते हैं बच्चों को पढ़ाने का एक सही सरल सा तरीका हम पहले भी कह चुके हैं कि बच्चे किसी भी परिस्थिति में बच्चों के साथ धैर्य बना कर सहजता से पेश आना चाहिए क्योंकि बच्चे छोटे से फूल जैसे होते हैं ज्यादा खीच लिया तो वह टूट जाते हैं और ज्यादा देर रख दिया तो मुरझा जाते हैं उन्हें हमें बैलेंस बना कर चलना पड़ता है।
क्योंकि हम उनको 24 घंटे फोन से दूर नहीं रख सकते हैं या वह कभी फोन से दूर हो ही नहीं पाएंगे हमें आहिस्ता आहिस्ता उनके मन से उनके जीवन से
फोन को दूर रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है हम कोशिश करते हैं कि बच्चों के मनोभाव में हम सब से बुरे व्यक्ति बन जाते हैं हम बड़ों को चाहिए कि इस स्थिति में हमें अपने आप पर स्वयं पर नियंत्रण होना चाहिए और ध्यान रहे कि बच्चों को गुस्सा से या डरा धमका के हम कभी भी कोई कार्य नहीं करा सकते उनको हर वक्त प्यार की जरूरत होती है पर याद रहे कि किसी भी चीजों का अति नहीं होना चाहिए।
( अति का भला न बरसना;
अति की भली न धूप ,
अति का भला न बोलना,
अति की भली न चुप)
हमें किसी भी अति को नहीं जोड़ना चाहिए क्योंकि जब अति होता है तो वह बहुत ही गहरी समस्या बन जाती है हमें सभी चीजों में संतुलन बना कर रखना चाहिए तभी हम इस पीढ़ी के बच्चों को संभालने में कामयाब हो पाएंगे।
( क्योंकि बच्चे एक गीली मिट्टी की लोरी के समान होते हैं जिस को जिस साची या जिस रंग रूप में तब्दील करेंगे वह आगे चलकर वैसा ही काम करेगा या आगे वैसे ही आकृति में ढलेगा।।)
इन सब में कुम्हार की तरह धैर्य बनाकर रहना चाहिए और बच्चों पर कभी भी दबाव न बनाएं अगर दबाव बनाते हैं तो वह चिड़चिड़ा हो जाएंगे कभी भी अपने काम को सही ढंग से नहीं करेंगे।
(बच्चों को भूल भुलैया बनाकर रखना चाहिए क्योंकि वह भूले रहेंगे तभी कुछ करेंगे अन्यथा वह अपने काम से हमेशा भागते रहेंगे)
हमारा मूल मंत्र है कि (हर दिन कुछ नया सा
अगर नया नहीं करेंगे तो नया पाएंगे कैसे)
बच्चों को हमेशा एक टारगेट बेस कार्य कराना चाहिए।
हम भी पहले उन को टटोलना चाहिए उनके मनोभाव को समझना चाहिए कि बच्चे किस प्रकार के हैं और कैसे हैं वह किस परिस्थिति में आगे बढ़ना चाहेंगे उनके मनोभाव स्थिति को जरूर समझे.
बच्चों की सोच उनका विचार उनके कार्य करने की प्रवृत्ति या उनके मन में क्या चल रहा है यह सब कुछ पहले जांचें के बच्चों को क्या चाहिए हमेशा आप खुद सोचिए कि हम बच्चों को हर दिन नया कैसे दें अगर यह सोच आपकी रहेगी तो बच्चा हमेशा आपकी बात को ध्यान पूर्वक सुनेगा और अपने कार्य को आराम से करेगा.
मैं बस इतना कहूंगी कि आप उन्हें अंतर समझाइए चाहे वह जिंदगी से जुड़ी बातें हो या उनकी किताबों की जब तक आप उनको बराबर कर अंतर नहीं समझ जाएंगे ना तब तक बच्चे कुछ नहीं समझेंगे आपको थोड़ा खुद को डेवलप(Develop) करना पड़ेगा आप बच्चों के साथ में फ्रेंडली(Friendly) रहे।
उनके स्वभाव वह प्रतिक्रिया को जानने का कोशिश करें मेरा कहने का तात्पर्य है कि आप बच्चों को अपने से एक ऐसा जुड़ाव महसूस कराएं कि बच्चे आपकी शब्दों में गुम हो जाए और आपकी हर बात को माने याद रहे कि बच्चों के लिए एक गाइडलाइन(Guideline) तैयार करें उनके लिए समय सारणी बनाएं और कोशिश करें कि 2 हफ्ते में उस समय सारणी का पालन करें उनको पहले कोमल फिर कठोर निर्देश दें ना अवरोही से आरोही बने या तो कठिन से सरल आइए या सरल से कठिन आइए अगर हमारी बात मान लेंगे तो आप बच्चों को सरल से कठिन की तरफ ले जाइए तब उनके माइंड(Mind) में यह सेट होता चला जाएगा कि नहीं मुझे धीरे-धीरे पढ़ाया गया है मैं धीरे-धीरे समझूंगा और उन्हें पता भी नहीं चलेगा आप अपने बच्चे को 80%समय सारणी को फॉलोअप(Follow-up) करने के लिए कहे आप अपने बच्चों के अंदर डर का सम्मान नहीं बल्कि माता पिता होने का सम्मान सिखाइए वह जहां गलत है उन्हें बताइए अगर जरूरत लगी तो उन्हे डांट से भी और प्यार से भी उनकी सोच को मेंटेन(Mention) करिए।
बच्चों में बेहद जरूरी होता है संस्कार,आदर्श,आस्था होना जब बच्चों के अंदर संस्कार और आस्था रहेगा तो बच्चे आपकी बात हमेशा मानेंगे उन्हें हमेशा अपने धर्म से जुड़े रखें धर्म का मतलब है हिंदू मुस्लिम सिख इसाई से नहीं उनका जो कर्तव्य है उनका जो कार्य करने का समय है उस धर्म से उन्हें जोड़ें उन्हें अपनी जरूरत की चीजों को जरूर समझाएं संस्कार आदर्श आस्था सम्मान चारो का एक माला पिरो कर बच्चों के मस्तिष्क में प्रवेश करें बस आप सभी से गुजारिश है कि बच्चों को समझने का प्रयास करें उन्हें सामाजिक तौर से मजबूती दे उन्हें आत्म रक्षक बनाएं इससे बच्चे आगे चलकर किसी के ऊपर निर्भर ना रहें आत्मनिर्भर बने ऐसा उन्हें आप संस्कार दीजिए।
अब बात करते बच्चों को पढ़ाने का तरीका
हमने आपको ऊपर समझाया कि पहले बच्चों को समझे उनकी मनोभाव को समझे तभी आप अपने बच्चों को संभाल पाएंगे रमजान की वजह से बच्चों का स्कूल बंद हो गया और कुछ बच्चे घर पर अपने माता-पिता के साथ अपनी पढ़ाई में एकदम रूचि नहीं रखते हैं मानव की दो-तीन साल में उनकी पढ़ाई से दूर-दूर तक नाता नहीं है अगर अब उन्हें आप पढ़ने के लिए कहते हैं तो पढ़ाई उनके लिए एक सजा और आप उनके दुश्मन जैसा प्रतीत होते हैं उनके मनोविकार में आता है बच्चों के अंदर ऐसा स्वभाव है क्योंकि उनको कंट्रोल कोई और कर रहा है जैसे स्मार्टफोन(Smartphone) इंटरनेट(Internet) पर फनी वीडियोस या ऑनलाइन गेम(Online Game) यह बच्चों के मस्तिष्क के ऊपर अपना पूरा प्रभाव डाल दिए हैं और स्मार्टफोन का गहरा छाप उनके मस्तिष्क पर बैठ गए आप चाह कर भी फोन को उनसे दूर नहीं रह पाएंगे ऐसे नियम बनाए जिससे वह अपने कार्य भी करें और फोन से थोड़ा सा दूरी खुद को रख पाए इन सब को दूर कर उनके मन को पढ़ाई में लगाना बेहद जरूरी हो गया है।
अजमाते हैं कुछ तरकीब पढ़ाई को लेकर
- अगर आपका बच्चा पढ़ नहीं रहा है तो उससे उसकी न पढ़ने की वजह पूछे अपने बच्चों से बात करें उनकी समस्या क्या है उस समस्या को आप समझे और उनका हल निकाले.
- हमेशा प्रतिदिन कुछ नई बातें करें और हमेशा नई चीजों के साथ.
- पढ़ाई का प्रेशर या लोड ना दे.
- हर दिन कुछ नया करने की कोशिश करें.
- पढ़ाई करने या करवाने से पहले उनके मन को टटोले कि उनकी मन में क्या चल रहा है और वह क्या चाहते है.
- पढ़ने या लिखने से पहले एक अमेजिंग प्रारूप तैयार करें साथ ही बच्चों को जिस विषय में ज्यादा रुझान हैं उसी विषय से उनकी पढ़ाई की शुरुआत करें आशा करती हूं कि बच्चे जरूर समझेंगे.
- ट्यूशन देने से पहले या स्वयं पढ़ाने से पहले आप बच्चों से बात जरूर करें उनसे हर एक छोटी छोटी विषय पर विचार विमर्श जरूर करें उन्हें समय दें अपनी बात को पूरा करने के लिए.
- जिस विषय में उनका मन हो उसे विषय को आप उनकी पहली पसंद बनाएं और वहीं से शुरुआत करें.
- आप अपने बच्चे के लिए उनको पढ़ाने के लिए तरह-तरह रंग-बिरंगे सरप्राइस वर्कशीट तैयार करें वर्कशीट में चित्रों से रंगों से तथा मजेदार टॉपिक्स लिखें कोई भी विषय हो चाय हिंदी इंग्लिश मैथ उन सब विषय वाले वर्कशीट को माइंडेड बनाएं और बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाये.
- उनके विषय को उनके लिए कठिन ना बनाएं कुछ कुछ समय पर थोड़ा मजेदार साउंड क्रिएट करें उनकी वर्क करने में आसानी हो जाएगी.
- बच्चों को सर्वप्रथम मौखिक रूप से पढ़ाएं.
- प्रतिदिन का एक शेड्यूल तैयार कर ले की फर्स्ट डे मौखिक करेंगे और सेकंड डे राइटिंग करेंगे.
- मौखिक के साथ उनको चित्र रंगों से मजा आता है तो उन सब के माध्यम से भी उन्हें आप पढ़ा सकते हैं.
- कोशिश करें उनके ऊपर होमवर्क का लोड ना करें.
- उनको उंगलियों के साथ से बढ़ाएं उंगलियों पर मौखिक रूप से हर विषय को बताने का प्रयास करें.
- उन्हें आप घर में या कमरे में रखे वस्तु से नई नई चीजें बता कर पढ़ा सकते हैं उन्हें हर अलग-अलग वस्तु से जोड़कर कुछ नया सिखा सकते हैं ऐसा करने से आपके बच्चे पढ़ने के ऊपर ज्यादा ध्यान देंगे .
- सारे गृह कार्य को स्वयं करने के लिए छोड़ दें.
आशा करती हूं आपको हमारा तरीका पसंद आएगा साथ में बच्चों के लिए भी फायदेमंद रहेगा