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बच्चों को शारीरिक व मानसिक रूप से कैसे मजबूत बनाएं?
बच्चे एक चार पत्ती वाले फूल जैसे होते हैं जिसको पोसना वह संभाल कर रखना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि वह बहुत कमजोर होते हैं हमारा काम है बच्चों को शारीरिक और मानसिक तौर से उन को मजबूत बनाना क्योंकि बच्चे 24 कैरेट सोने की तरह शुद्ध होते हैं।
उनको हल्की-हल्की सी चोट देकर मजबूती के रास्ते पर ले जाना पड़ता है जिससे आगे जाकर वह बड़ा मकान हासिल कर सकें क्योंकि बच्चों का शारीरिक व मानसिकदोनों रूपों में मजबूत होना बहुत आवश्यक है अगर आप सोच लीजिएगा आपका बच्चा शारीरिक तौर से मजबूत है तो और मानसिक रूप से नहीं है तो उसका भी प्रभाव गलत पड़ता है आपका बच्चा मानसिक रूप से मजबूत है शारीरिक रूप से नहीं तो भी इसका तालमेल सही ढंग से नहीं बैठता हमें चाहिए कि हमारा जो बच्चा है बचपन से ही शारीरिक मानसिक रूप से मजबूत अगर शारीरिक रूप से मजबूत नहीं होगा तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी और वह हमेशा बीमार रहेगा , कभी कुछ कर नहीं पाएगा अगर मानसिक रूप से कमजोर है आपका बच्चा तो आप उसे कुछ भी सिखाएंगे नहीं सिख पाएगा उसका पढ़ने में मन नहीं लगेगा वह और बच्चों के तुलना मे थोड़ा सा Low रहेगा इससे आप समझ ही सकते हैं कि बच्चों का शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत होना कितना आवश्यक है।
मैं बस आपसे इतना कहूंगी कि कार्य करोगे नहीं तो सीखोगे कैसे यही बच्चों के अंदर है जब तक हम उनको कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं करेंगे तब तक बच्चे सीखेंगे नही।
बच्चे एक उगता हुआ सूरज है ,जैसा सोचोगे वैसा करोगे तो पूरा दिन उसी रूप में बदल जाएगा इसलिए हमेशा बच्चों को सच के रास्ते पर चलाना सिखाइए तब जाकर वह कहीं अच्छे व मजबूत से निखर पाएंगे ध्यान में बच्चों को हमेशा सेल्फ डिफेंस(Self-defense) आत्मरक्षा के रूप में मजबूत बनाना चाहिए उनको कमजोर होने वाला रास्ता कहीं से दिखाई नहीं देना चाहिए आप सभी को पता है जो आजकल का दौर चला उसमें बच्चों को मजबूत होना जरूरी है चाहे किसी भी प्रकार से जो कोई भी रास्ता हो बच्चों को मजबूत होना पड़ेगा आजकल के कंपटीशन सी दुनिया में
अगर आपका बच्चा कमजोर हुआ तो वह हमेशा कमजोर ही होता चला जाएगा कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा क्योंकि यह रेस वाली दुनिया हो चुकी है अगर कोई थोड़ा सा भी रुका तो हमेशा हमेशा के लिए 10 कदम पीछे चला जाएगा आप सब से विनम्र निवेदन है कि अपने बच्चों के खान-पान तथा भविष्य के बारे में सोचें क्योंकि यही दुनिया के आने वाले सुनहरे भविष्य हमें बस इतना चाहिए कि बच्चों को उनकी जमीन से जुड़ा रखना है और ध्यान देना है कि उनको किस किस चीजों में उनका मन लगता है किन चीजों से उनका भला हो रहा है सारी बातों का ध्यान देखकर हमें एक सही रास्ते का चयन करना चाहिए
को बताना चाहिए वह किन-किन चीजों से खुद को प्रोटेक्ट कर सकते हैं किन बातों से उनका माइंड डिवेलप हो सकता है किन बातों से उनको सही गाइडलाइन प्राप्त हो सकता है यह सारी चीजें हमें ध्यान में रखकर तब बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए बच्चा प्लान करना यह एक बहुत अहम डिसीजन होता है
हमें यह डिसीजन(Decision) तब लेना चाहिए जब हम खुद एक मजबूत पेरेंट्स ना अगर हमें बच्चा प्लान करना है तो हमें उसके आने वाले प्रेजेंट पास्ट फ्यूचर तीनों कालों के बारे में सोच कर तब हमें बच्चा प्लान करना चाहिए वरना नहीं तो बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से दोनों कमजोर हो जाएगा
क्योंकि बच्चा ज्ञान नाम सुनकर ही एक मासूमियत से भरा शब्द है अगर कोई बच्चा कहता है हमारे मन में एक अलग सा चित्र बन जाता है भोला पन
आज के समय को क्या करें किस पर भरोसा करें कुछ पता नहीं इसलिए हमें अपने अपने बच्चों की सावधानी का जरूरत से ज्यादा ध्यान देना है
हमें चाहिए कि उनको हर छोटी-बड़ी निर्देश देते रहे जो उनके लिए अच्छा हो हमें गलत सही सभी बातों को उन्हें बताना चाहिए आजकल आप जानते ही हैं कि बच्चों का शोषण किस प्रकार से हो रहा है बच्चों के अंदर बहुत अच्छी पेप्सी की होती है जिससे उनको जो बताए जाए वह बहुत जल्दी ग्रहण कर लेते हैं साथ ही साथ उस पर अमल भी करते हैं जब बच्चे 3 प्लस इयर्स के होती है तो उनके माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में समझाएं उन्हें बताएं कि वह हर व्यक्ति से उनका परिचय कराएं और हर व्यक्ति के बारे में खुलकर बात करें हमें हमेशा अपने बच्चों के साथ एक अच्छा कनेक्शन बना के रखना चाहिए उनके साथ हमारा व्यवहार माता-पिता का नव हो कि एक फ्रेंड का हो जिससे बच्चा अपना हर सब कुछ अपने बड़ों से शेयर कर सके उनको बताएं कि हर व्यक्ति से जितना हो सके उतना डिस्टेंस मेंटेन करें उन्हें समझाएं कि अगर आपको थोड़ा सा भी असहजता महसूस हो रहा है तो वह अपने माता पिता भाई बहन सब को इन्फॉर्म करें चाहे वह लड़का हो चाहे वह लड़की हो हमें हर बात पर खुलकर बात करनी चाहिए
बच्चा किसी भी जेंडर का हो कोई फर्क नहीं पड़ता है वह अपनी बातों को बड़ी सहजता के साथ अपने घर में प्रस्तुत करें ऐसी शिक्षा हमें अपने बच्चों को देनी चाहिए मैं दरख्वास्त करूंगी उन माता-पिता से जो अपने बच्चों के साथ उनका व्यवहार अच्छा नहीं होता है कुछ समझती बच्चों के साथ प्रेषित ना करके उनको अपने माता पिता होने का एहसास दिलाते हैं अक्सर इसी में गलतियां हो जाती थी बच्चे अपनी मन की बात अपने माता-पिता से नहीं कर पाते वह डर जाते हैं कभी-कभी माता-पिता का रिश्ता अच्छा ना होने की वजह से घर में क्लेश होने की वजह से बच्चे डर जाते हैं इन सब माहौल में बच्चे अपनी बात कभी भी माता-पिता से नहीं करते हैं माता-पिता को चाहिए कि बच्चों के साथ हमेशा फ्रेंडली नेचर(Friendly nature) रहे अपने स्वभाव और पीने से बच्चा अपनी बात उन तक बहुत आसानी से पहुंचा सके माता-पिता को चाहिए कि उनके साथ घुलमिल करें बच्चों के दोस्त बने और समझाएं कि किसी भी बात को चाहे स्कूल की बात हो या घर की बात हो या बाहर की बात हो कहीं की भी बात हमें आकर बताएं उनको इस तरीके से परवरिश थे कि बच्चा खुद-ब-खुद ऑटोमेटिक अपने माता-पिता से हर बात शेयर करें आज का दिन बहुत आगे हो गया है छोटी हो या बड़े हो सबके हाथ में एक स्मार्टफोन(smartphone) होता ही है बड़े के तो अलग काम के लिए छोटों को स्कूल क्लास के लिए कहने का तात्पर्य है कि काम सबको लगता है फोन का यूज सब करते हैं परंतु बच्चे एक नाजुक फूल की तरह होते हैं ज्यादा रख दो ना काम करने के बाद गेम वीडियो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कुछ भी यूज़ करते हैं आप सभी को पता है कि कोई भी एप्लीकेशन यूज करते समय ऐड पर ऐड आता है वह ऐड अच्छा भी हो सकता है और बहुत बहुत ज्यादा पूरा भी हम बड़ों को नहीं पता होता है कि पढ़ाई के समय बच्चे फोन से क्या छेड़खानी करते रहते हैं इसलिए हमें चाहिए बच्चों को सही गलत का भेद बताएं उनको समझाएं की चीजें उतनी ही प्रयोग करो जितनी हमारी आवश्यकता उन्हें अंतर समझाए उनको समझाएं कि अगर इन सब से भी बात ना बने तो उनके भविष्य में होने वाली घटनाओं को या जो हो सके उन्हें बहुत प्रैक्टिकली (Practically) दिखाकर समझें कभी-कभी हमें बच्चों के साथ प्यार के साथ-साथ कढ़ाई भी पालन करना चाहिए हम देखते हैं कि कुछ बच्चे बेहद जिद्दी स्वभाव के होते हैं तो उन्हें समय आने पर साम दाम दंड भेद का पालन करना चाहिए वरना बच्चे बिगड़ जाते हैं हमें लाड प्यार की साथ बच्चों को कड़ाई से भी पेश आना चाहिए क्योंकि उनके मन में रिस्पेक्ट वाला डरो और वह कोई भी गलती करने से पहले हजार बार सोच कहा जाता है ना कच्ची मिट्टी अकेली मिट्टी के बर्तन बनते हैं उनको अलग-अलग औजार से बड़ी पारियों के साथ अच्छी से अच्छी आकृति तैयार की जाती है कभी मारा जाता है कभी ठोका जाता है कभी तेज धार से काटा जाता है
और कभी नुकिली धातु से खुर्जा भी जाता है
तब जाकर वह समान ताप वाली पट्टी में पकड़ मजबूत होता है इस तरह से हमारे पास आने लायक होता है अतः सामान उसी रूप से हमें बच्चों को सभी तरह के सामाजिक रूप के औजारो के साथ अन्य शारीरिक व मानसिक
रूप से मजबूत बनाया जा सकता है आशा करती हूं कि आप सभी को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता होगी तो उन्हें गलत आदतों की लत से दूर रखें जीवन अनमोल है समय कीमती है जिंदगी जब पर टिकी है तो आपको अपने बच्चों के भविष्य की चिंता करके हर तरह से प्रयोगात्मक रूप से जीवन यापन कराएं