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बच्चों का बचपन
बच्चों का बचपन नाम सुनकर आप सोचेंगे कि यह कैसा प्रश्न है बच्चे हैं, तो उनका बचपन भी होगा नहीं आजकल के समय में बच्चे तो हैं उनका बचपन कहीं खो सा गया है।
आप सोचेंगे कि छोटे बच्चों के बचपन की बात कर रहे हैं, थोड़ा अजीब है, मगर यह बात सच है,आमतौर पर बच्चे अपना बचपन खोते जा रहे हैं या समस्या आम है पर गंभीर भी आजकल के टेक्नोलॉजी की दुनिया में बच्चे अपना बचपन यूं खोते जा रहे हैं।जैसे हाथ में से रेत
बच्चों को जो बचपन जीना चाहिए वह नहीं जी पा रहे हैं ।बच्चे अपना बचपन गलत आदतों के कारण गलत संगत के कारण गलत हरकतों के कारण खोते जा रहे हैं । यहां पर गलत आदत का मतलब या गलत संगत का मतलब गलत नहीं है ,गलत आदत मतलब जीवन जीने का तरीका गलत संगत का मतलब स्मार्टफोन जिसमें सारी दुनिया सिमट के रह गई है यह समस्या गंभीर है । टेक्नोलॉजी तो बहुत अच्छी चीज है पर टेक्नोलॉजी में बंध के रह जाना यह गलत बात है।
जीवन जीने के तरीके आज और सामान्य हो गए हैं वह सामान्य ढंग से जीवन यापन ही नहीं कर पाते आज यह समस्या सभी बच्चों में लगभग पाई जाती है यह समस्या आम समस्या है पर इसका प्रभाव बहुत गहरा है इसकी छाप ऐसी है कि इससे उभरना भी चाहें तो उभर नहीं सकती अब हम बात करते हैं बच्चों के बचपन को खोने की समस्या हमारा उद्देश्य बच्चों को उनके बचपन लौट आने की एक छोटी सी कोशिश है हमारा उद्देश्य किसी भी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं हम से खो रही सभ्यता को, जो उसका नाम बचपन है।
बस उसी बचपन के बारे में बात करना चाहते हैं हम सिर्फ लोगों के प्रति जागरूकता फैलाना चाहते हैं क्योंकि बच्चों के प्रति अक्सर आज के जनरेशन के बड़े थोड़े से लापरवाह होके अपनी सहभागिता के लिए अपना काम आसान करने के लिए बड़े उनको टेकनोलॉजिक में धकेल रहे हैं उनकी भविष्य के लिए एक अंधकार ब्लैक होल (black hole) जैसे प्रतीत होता है क्योंकि ब्लैक होल (black hole) इतना गहरा है इसमें कोई भी प्रकाश टिक नहीं पाती है उसी प्रकार टेक्नोलॉजी की दुनिया भी एक ऐसा अंधेरा है जिसमें बच्चे बूढ़े युवा पीढ़ी दर पीढ़ी के लोग उसमें लग जाए तो उसमें से निकलना मुश्किल होता है ।