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इंटरनेट से बच्चों को कैसे बचाएं कुछ उपाय

इंटरनेट से बच्चों को कैसे बचाएं कुछ उपाय

ध्यान दीजिएगा दोस्तों उपाय बहुत ही सरल और सहज है आपको जरूर फायदा होगा ।

  • आप स्वयं खुद की आलस को त्यागे आप बच्चों के जिद करने पर फोन ना दें बल्कि उनको उसका दुष्परिणाम बताएं उसकी दोष बताएं क्योंकि बच्चों का दिमाग कोरा कागज या खाली श्यामपट जैसा होता है। यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम बच्चों को किस तरीके से बता रहे हैं समझा रहे हैं या बच्चों के दिमाग में हम किस तरीके के शब्दों को पिरो रहे हैं ,इन सब बातों का बेहद ध्यान देना होता है बच्चों के दिमाग में हम क्या डालें क्या लिखे ये आपके ऊपर लागू होता है क्योंकि बच्चों के दिमाग में सही चीजें जानी चाहिए उन्हें समझाएं उन्हें वास्तविकता से रूबरू करें उन्हें बाहर की दुनिया को देखना है।हमें बहुत बारीकियों से उनको समझाना होगा उनको बताना होगा कि फोन से कैसे दूर रहे फोन कितना नुकसान दायक है हमारे लिए हमारे शरीर के लिए हमारे कार्यों पर कितना दुष्प्रभाव डालता है इन सभी बातों को आप बच्चों के दिमाग में डालें।
  • इस समय जब फोन को दूर करने की बात करेंगे तो उनकी अंदर बहुत उथल-पुथल चलेगी बहुत चिड़चिड़ाएंगे उनको लगेगा कि उनकी सारी दुनिया उनसे दूर हो रही है ,पर आपको बहुत सहजता से धीरज से बच्चों को संभालना होगा बहुत प्यार से बहुत समझदारी से नहीं समझाना होगा उनको बताना होगा कि फोन उनकी दुनिया नहीं है बल्कि उनकी दुनिया तो कहीं और है इस तरीके से बच्चों को समझाकर आप फोन से दूर रख सकते है।
  • उन्हें गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं उन्हें तरह-तरह के खेलकूद को बढ़ावा देना होगा उन्हें आउटडोर गेम घर से बाहर  जाकर खेलने के लिए बताना होगा इस तरीके से आप बच्चों को फोन से दूर रख सकते हैं।उनको बताना होगा कि फोन में सारी दुनिया नहीं है फोन से निकल कर देखो फोन एक संसाधन है बस जीवन यापन करने का एक तुक्ष वस्तु है ,उसे हम अपनी जरूरत की चीजें ना बनाएं फोन से दुनिया नहीं है या फोन में दुनिया नहीं है दुनिया तो बाहर है उन्हें घूमने ले जाएं उन्हें ऐसे जगह पर ले जाए जो उनके लिए नई हो ।
  • उनको बताना होगा कि फोन से बाहर निकलो बाहर घूमने चलो हमें तमाम कोशिशों के साथ उनको दुलार के साथ फोन के अजीब पर्यावरण के बाहर निकालना होगा ।अगर बच्चा गुस्सा कर रहा है या जिद में है या तनाव रूप में है या छोटा है तो ध्यान दें कि इस अवस्था में उन पर गुस्सा ना करें आराम से समझाएं उनको बाहर घूमने या गेम का लालच दे। वह बच्चे है वह जरूर समझेंगे हमारी सोच बच्चों की सोच से भिन्न है परंतु ध्यान पूर्वक उनकी बातों को समझना और सुनना यह अहम बिंदु है हमारे उनके बीच में एक फ्रेंडली नेचर बनाने के लिए अपनी सोच बच्चों पर ना ही डालें बल्कि उनकी बातों को अपनी बातों से कम उनकी बातों को ज्यादा महत्व दे इस तरीके से आप फोन से उनको दूरी बना सकते हैं।
  • उनके मन पर ध्यान दें ज्यादा से ज्यादा समय उनसे बात करने में बिताए उनके मन में क्या चल रहा है उनकी  बिचार कैसे हैं वह क्या सोचते हैं इन पर बहुत ध्यान पूर्वक विचार करें उनको क्या चाहिए वह क्या जरूरी है वह जीत क्यों करते हैं या जो जिद्द कर रहे है, उनको खासतौर पर उनकी जिद्द पूरी ना करें बल्कि उनको समझाएं समझाने से बच्चे जरूर समझते हैं उन्हें  प्रैक्टिकली बनाएं।
  • जीवन में उनके द्वारा मांगे गए वस्तु को थोड़ा थोड़ा करके दे कहने का तात्पर्य है कि जो उनका डिमांड है उन्हें कम से कम पूरा किया जाए हर डिमांड को समय पर ना पूरा किया जाए इससे बच्चे आदी हो जाते हैं और अपनी बात मनवाने के लिए बहुत सारे ऐसे कार्य करते हैं जिनकी वजह से माता-पिता को झुकना होता है जिनकी जरूरत है जिस वस्तु की जरूरत है वह माता-पिता बेहतर जानते हैं तो वहीं वस्तु बच्चों को दिया जाए। उनसे बात करें और अपनी बात बताएं दोनों लोग फ्रेंडली  नेचर के साथ बच्चों को समझा सकते हैं
  • सबसे अंतिम उपाय अपनी बातों से बच्चों की बातों को सबसे ज्यादा अहमियत थी उनको एहसास दिलाए हर कोई  उनके बातों को समझता है और सच में इंपॉर्टेंस देता है।आप कोशिश करें कि वह फोन जादा से जादा प्रयोग ना करे ।अपनी पढ़ाई पर या कुछ इंटरेस्टिंग थॉट पर अपनी वर्कशीट पर काम करें उनको पढ़ाई में फन दिखाएं मस्ती  दिखाएं उन्हें मस्ती से पढाये और उनकी ही पढ़ाई में उनके ही सब्जेक्ट में कुछ नया करने कि कोशिस करेे।
  • उनके लिए पढ़ाई रोजमर्रा का एक टॉर्चर है उस टॉर्चर को आप गेम में बदल सकती हैं आपको  उनको  पढााई मे एक नया आयाम दे सकती हैं।याद रहे बच्चे हमेशा हर चीज में कुछ नयापन ढूंढते हैं तो कोशिश रहे कि आप बच्चों को नयी चीजें दें उनके मन के हिसाब से,
  • एक दिन आशा है कि वह इंटरनेट फोन से थोड़ा सा गैप कर लेंगे।जब आप बच्चों को पढ़ाते हैं या ट्यूशन टीचर उन्हें ट्यूशन देते हैं तो खास तौर पर कुछ बातों का ध्यान दिया करें कि बच्चों को पहले सुने मतलब बच्चों की बातें अपनी बातों से पहले सुने बच्चे क्या कहना चाहते हैं? इसमे पहले फोकस करें और समझे कि पढ़ाई को लेकर बच्चों के मन में क्या चल रहा है? पढ़ाई तो बेहद जरूरी है उसमेे बच्चों का नजरिया क्या कहता है पहले उसको जाने ,उनको आज क्या पढ़ना है या आज बुक में ऐसा क्या करूं कि नया हो इस तरीके से प्रयास कर सकते।उनको आप अंतर बताइए हर एक चीज में पढ़ाई को फोन से कंपेयर कर दीजिए या फोन को पढ़ाई से मतलब जब भी हम बच्चों को पढ़ने के लिए त्यार करना हो तो तुलनात्मक अध्ययन के रूप में पड़ाये  इन से क्या होगा? कि जब वह बैलेंस देखेंगे ना और बैलेंस मे इंटरेस्टिंग चीज देखेंगे तो ऑटोमेटिक वह फोन से दूर होने लगेंगे।
  • बच्चों को हमेशा अंतर में रखें कि उनके लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है और क्या हो सकता है क्या नहीं हो सकता है क्या जरूरी है क्या नहीं तो बार बार लगातार आप उनको इस तरीके से कहेंगे ना तो जाहिर सी बात है बच्चे ध्यान तो देंगे अगर ध्यान दिया तो एक बार नहीं देंगे दो बार नहीं देंगे उसके बात जरूर आपकी बात पर ध्यान देंगे।बस हमारा मूल मंत्र यह है कि आप सभी से निवेदन है आप अपने बच्चों से बात करें वह भी दिल की बात करें अपनी बातें बच्चों पर ना  थोपें  बल्कि उनके बातों को जरूर ध्यान दें और हां एक बात और बच्चों को हमेशा नई चीजों की तलाश रहती है एक नयापन धन्यवाद आशा करती हूं कि आपको यह बातें जरूर समझ में आई होंगी।