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आयुर्वेद की व्याख्या के कुछ बिंदु
आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेदः-
1- आयुर्वेद व्यक्ति एवं अतुल रोगी के लिए उत्तम मार्ग बताने वाले विज्ञान को आयुर्वेद कहते हैं
2- जिस शास्त्र में आयु शाखा का (उम्र का विभाजन) आयु विद्या , आयु सूत्र,( शारीरिक रचना शारीरिक क्रियाएं) इन संपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है वह आयुर्वेद है
3- आयुर्वेद को हम चिकित्सा परामर्श की पद्धति मानते हैं
4- आयुर्वेद एक जीवन जीने की कला को सिखाता है
5- आयुर्वेद स्वस्थ रहकर जिंदा रहना से खिलाता है उसका चर्चा आयुर्वेद जीना सिखाता है।
6- स्वस्थ व्यक्ति की रक्षा आयुर्वेद करता है आयुर्वेद को दूसरा शब्द बीमार पड़ रही ना ऐसा कहा जाता है
7- धनवंतरी के आयुर्वेद प्रणोता के रूप में जाना जाता है
8- सुश्रुत पृथ्वी पर शल्यक्रिया के प्रणेता वह महान आयुर्वेद के रूप में जाना जाता है एवं राइनोप्लास्टिक सर्जरी के प्रणेता माने जाते हैं |
9- आयुर्वेद की चर्चा मुख्यतः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, एवं अथर्ववेद में भी मिलता है।
10- अथर्ववेद इन सभी वेदों में महत्वपूर्ण माना जाता है इसमें आयुर्वेद के प्रायः सभी अंगों एवं उपागों का विस्तृत वर्णन मिलता है वेदों में ज्ञान व विज्ञान का अनंत असीमित भंडार विद्यमान है |
11- मनु ने कहा है अथर्ववेद को ब्रह्म की संज्ञा दी गई है ऋग्वेद में आयुर्वेद के महत्व तथ्यों का यथा स्थान विवेचना मिलता है इसका उद्देश्य कुशल वैद्य या अवैध की कुशल गुण कर विविध औषधीय एवं उनके मानव शरीर पर प्रभाव इत्यादि का वर्णन है |
12- ऋग्वेद में हमें सूत्रों व मंत्रों द्वारा चिकित्सा विज्ञान को स्पष्ट किया गया है।
13- आयुर्वेद का मानव जीवन में अधिकाधिक प्रयोग हो सके और जीवन को स्वस्थ रोगमुक्त दीर्घायु बनाया जा सके।